अपराध और हिंसा है आज की प्रमुख वैश्विक चिंता

By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | Oct 31, 2025

दुनिया के देशों की पांच बड़ी चिंताओं में आज सबसे बड़ी चिंता अपराध और हिंसा होती जा रही है। बेरोजगारी भ्रष्टाचार या सामाजिक या लैंगिक असमानता इसके आसपास भी नहीं दिखाई देती है। दरअसल दुनिया के देशों के लोग आज सबसे अधिक अपराध और हिंसा से प्रताडित है। कहीं भी और किसी भी देश के समाचार पत्र या मीडिया चैनलों को देखेंगे तो अपराध और हिंसा की खबरों की भरमार मिल जाएगी। दुनिया के देशों के लोगों से संवाद कायम कर सर्वे के माध्यम से रुझानों की जानकारी देने वाली संस्था इप्सांस की हालिया रिपोर्ट तो यही कहानी कहती है। इप्सांस की रिपोर्ट की माने तो दुनिया की पांच बड़ी चिंताओं में 32 प्रतिशत चिंता अपराध और हिंसा की है तो 30 प्रतिशत चिंता सरकारों द्वारा लोगों पर लगाये जाने वाले कर प्रावधानों को लेकर है। सामाजिक असमानता की चिंता 29 प्रतिशत है तो राजनीतिक भ्रष्टाचार और बढ़ती बेरोजगारी चिंता का कारण केवल 28 प्रतिशत ही बन पा रही है। यह तो उदाहरण मात्र है। पर इसमें कोई दो राय नहीं कि अपराध और हिंसा आज वैश्विक समस्या बनती जा रही है। दुनिया के देशों में कहीं ना कहीं से प्रतिदिन अपराध और हिंसा की खबरें प्रमुखता से सामने आ रही है। जहां तक हिंसा का प्रष्न है उसके विषय में तो यह कहना ही पर्याप्त होगा कि जैसे कहावत है कि फलां के तो नाक पर ही गुस्सा बैठा रहता है, लगभग यह स्थिति आज के युवाओं में ही नहीं अपितु अधिकतर नागरिकों में होती जा रही है। 


जहां तक अपराध का प्रश्न है तो घरेलू हिंसा से लेकर संस्थागत हिंसा यानी की वर्ग विशेष द्वारा सामहिक योजनावद्ध हिंसा आम हो गई है। दुनिया के देशों में राजनीतिक अस्थिरता के चलते असंतोष के हालात, अन्य देशों में अवैध प्रवेष, अवैध निवास, शरणार्थिंयों की बड़ती भीड़ और हथियारों की सहज उपलब्धता के कारण हिंसा आम होती जा रही है। कई देशों में तो शरणार्थियों या विदेशी प्रवासियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से हिंसा के हालात पैदा किया जा रहे हैं तो देशों के बीच युद्ध के हालातों के कारण भी हिंसा आम होती जा रही है। हिंसा का एक बड़ा कारण नई पीढ़ी में बढ़ता असंतोष है। जीवन शैली और रहन-सहन में बदलाव के कारण संवेदनशीलता और आपसी संबंध कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। मानसिकता कुंठित होती जा रही है। गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का स्थान कुंठा, संत्रास और मानसिक तनाव लेता जा रहा है और यह गुस्से के रुप में सामने आता है और यही कारण है कि मामूली से गाड़ी टच होने या साइड नहीं देने तक के कारण सामान्य वाद-विवाद एक दूसरे की जान के प्यासे होने तक पहुच जाता है। इसी तरह से अन्य देशों में शरणार्थी या अवैध निवास या अन्य कारणों से अब संगठित होकर माहौल खराब करना आम हो गया है। फ्रांस में आए दिन होने वाली घटनाएं इसका उदाहरण है। पिछले दिनों इस तरह की घटनाएं अमेरिका सहित दुनिया के बहुत से देशों में देखी गई है। राजनीतिक अस्थिरता की घटनाएं बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल में देखी जा सकती है तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान में जो कुछ घटित हो रहा है वह सामने हैं। इजरायल और हम्मास के बीच आए दिन आक्रमण की खबरें आ रही हैं। इससे होता यह है कि देश में हिंसा के हालात अधिक बनते हैं। 

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यह भी साफ हो जाना चाहिए कि दुनिया के देशों में अपराध और अपराध के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है। भारत सहित दुनिया के अधिकांश देश साइबर ठगी के बढ़ते ग्राफ से दो-चार हो रहे हैं। ठग साइबर ठगी के नित नए रास्ते निकालते हैं। कभी कॉल करके तो कभी क्लोन बनाकर सीधे ही राशि हड़प जाते है। इसी तरह से अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का नया ही रास्ता निकाला है और मजेदार बात यह है कि डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वाले साधारण आदमी ना होकर उच्च शिक्षित और संपन्न नागरिक हो रहे हैं। हालात यह हो रहे हैं कि अपराधी पढ़े लिखे लोगों को ही ना जाने क्या क्या कल्पित भय दिखाकर बड़ी राशि ठगने में सफल हो जाते हैं। इसी तरह से तकनीक का सहारा लेकर सेक्सटोर्सन आम होता जा रहा है। पैसों वाले लोगों इस तरह के ठग महिलाओं का गिरोह बनाकर आसानी से शिकार बना रहे हैं। दुनिया के लगभग सभी देशों में अपराधियों द्वारा तकनीक का ठगी में उपयोग आम होता जा रहा है। लाख प्रयासों के बावजूद इस पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। दरअसल अपराध के नए नए तरीकें सामने आते जा रहे हैं। हो यह रहा है कि अपराधियों की आरएण्डडी अधिक कारगर होती दिख रही है क्योंकि समग्र प्रयासों के बावजूद अपराध की कोई ना कोई नई तकनीक ले आते हैं। जब तक एक तरीके का तोड़ ढूंढा जाता है तब तक अपराध का नया तरीका सामने आ जाता है। ऐसे में दुनिया के देशों को हिंसा और अपराध पर अंकुश लगाने के लिए अपराधियों के पेरेलल आरएण्डडी सेल विकसित करनी होगी ताकि अपराध और हिंसा को कम किया जा सकें। 


- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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