By अनन्या मिश्रा | Apr 24, 2023
चाय-कॉफी के बागानों के लिए जाना जाने वाला कर्नाटक के चिकमगलुरु शहर पर इन दिनों सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। बता दें कि यह सीट सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी खास है। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और भाजपा के सीटी रवि यहां से विधायक हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने एचडी थम्मैया को चुनावी मैदान में उतारा है। ऐसे में इस बार सीटी रवि को अपनी सीट बचाने के लिए मेहनत करनी होगी।
चिकमगलुरु शहर का समीकरण
बता दें कि चिकमगलुरु विधानसभा सीट उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक चिकमगलुरु निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,08,432 वोटर हैं। जिनमें से 1,04,357 पुरुष और 1,03,937 महिलाओं के अलावा 23 अन्य वोटर हैं।
2018 में कांग्रेस को मिली थी हार
साल 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान सीटी रवि ने कांग्रेस पार्टी के शंकर बी एल को भारी मतों के अंतर से हराया था। इससे पहले साल 2013 में भी इस सीट पर भाजपा का दबदबा कायम था। वहीं साल 2008 में बीजेपी ने इस सीट पर करीब 15 हजार वोटों के अंतर पर जीत हासिल की थी।
लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय
चिकमगलुरु शहर में लिंगायत और वोक्कालिंगा समुदाय की आबादी का दबदबा है। वहीं बीजेपी ने वोक्कालिंगा समुदाय को लुभाने के लिए एक बार फिर सीटी रवि को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने इस बार लिंगाय़त उम्मीदवार एचडी थमैय्या पर दांव लगाया है। बता दें कि विधानसबा चुनाव से कुछ समय पहले ही थम्मैया ने भाजपा से अपना इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वॉइन की है। साल 2007 से थम्मैया बीजेपी के साथ थे और पार्टी में कई बड़ी जिम्मेदारियों को संभाला है।
कांग्रेस का इस सीट से कनेक्शन
चिकमगलुरु विधानसभा सीट उडुपी चिकमंगलूर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहीं कांग्रेस का इस लोकसभा सीट से गहरा नाता है। चिकमगलुरु वही सीट है, जहां से साल 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी थी। यहां से इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के बाद चुनाव लड़ा था। उस दौरान पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने 'अपना वोट अपनी छोटी बेटी को दो' का नारा लगाया था।