GST कटौती से Car, SUV, TV, Mobile, AC सस्ता होने के इंतजार में हैं ग्राहक, त्योहारों से पहले बाजार दिख रहे सूने, दुकानदार चिंतित

By नीरज कुमार दुबे | Aug 23, 2025

देश में माल एवं सेवा कर (GST) में कटौती की संभावना ने उपभोक्ताओं और कंपनियों को तो राहत की उम्मीद दी है, लेकिन खुदरा बाज़ार के लिए यह उम्मीद एक नई समस्या लेकर आई है। हम आपको बता दें कि आम तौर पर गणेशोत्सव और ओणम से लेकर दशहरा–दीवाली तक का समय देश के रिटेल और ऑटो सेक्टर के लिए सबसे बड़ा व्यावसायिक सीजन होता है। लेकिन इस बार उपभोक्ता खरीदारी करने से रुक गए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि जीएसटी दर घटने से कीमतें जल्द ही नीचे आएँगी। कार कंपनियों, इलेक्ट्रॉनिक ब्रांड्स और व्हाइट गुड्स (टीवी, फ्रिज, एसी आदि) विक्रेताओं का कहना है कि लोग अभी खरीदारी करने की बजाय दर कटौती की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। कई उपभोक्ताओं ने तो कार की बुकिंग तक रद्द कर दी है।


ऑटोमोबाइल डीलरों का कहना है कि उन्होंने भारी स्टॉक जमा किया हुआ है ताकि त्योहारी मांग पूरी की जा सके। लेकिन बिक्री ठप होने से इन्वेंट्री फाइनेंसिंग का बोझ बढ़ रहा है। अगर स्टॉक 60 दिनों में नहीं निकला तो बैंक उच्च ब्याज़ दर वसूलेंगे और दंड भी लगाएंगे। इसी तरह, एलजी, सैमसंग और सोनी जैसी कंपनियाँ भी टीवी और बड़े इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री में मंदी महसूस कर रही हैं।

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इस बीच, जीएसटी परिषद 3–4 सितंबर को बैठक करने जा रही है जिसमें कर ढांचे को सरल बनाने का बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। फिलहाल जीएसटी की चार दरें (5%, 12%, 18% और 28%) हैं। प्रस्ताव है कि इसे घटाकर सिर्फ दो दरें रखी जाएँ। 5%: ज़रूरी और मेरिट श्रेणी के सामान पर तथा 18%: मानक श्रेणी के अधिकांश सामान और सेवाओं पर। इसके अलावा कुछ विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर 40% का विशेष कर लगाया जाएगा। यदि यह ढांचा लागू होता है तो छोटे वाहन, टू-व्हीलर, टीवी, एसी और डिशवॉशर जैसे उत्पादों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।


उपभोक्ता का यह इंतज़ार बाज़ार की रफ़्तार तोड़ रहा है। खुदरा व्यापारी और निर्माता दोनों दुविधा में हैं, स्टॉक जमा है, मांग ठप है और भविष्य की कीमतें अनिश्चित हैं। सरकार के निर्णय में देरी से न केवल त्योहारी बिक्री प्रभावित हो रही है बल्कि रोज़गार और टैक्स राजस्व पर भी असर पड़ सकता है।


हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी संरचना को दिवाली तक सरल और न्यायसंगत बनाने का वादा किया था। यह उपभोक्ताओं को राहत देने और देश में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बेहतर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर जो परिदृश्य है, वह यह दर्शाता है कि नीतिगत घोषणाएँ भले ही दीर्घकालिक लाभकारी हों, अल्पकालिक रूप से ये बाज़ार में अनिश्चितता और ठहराव भी पैदा कर सकती हैं।


बहरहाल, जीएसटी दरों में कटौती निश्चित ही उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों के लिए सकारात्मक होगी। लेकिन जब तक परिषद का अंतिम निर्णय नहीं आता, बाज़ार ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में रहेगा। त्योहारों की रौनक और बिक्री की चहलकदमी इस बार सरकार की टैक्स नीति पर ही टिकी है।

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