Car, SUV और Two Wheeler होने जा रहे हैं सस्ते, जानिये GST में कटौती से ग्राहकों को कितनी राहत मिलने वाली है?

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हम आपको बता दें कि इस समय चार मीटर से लंबी और अधिक इंजन क्षमता वाली गाड़ियों पर 28% जीएसटी और 22% सेस लगता है। यदि सेस हटाकर एक समान 40% जीएसटी लगाया गया तो ऐसी गाड़ियों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।

भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दरों में प्रस्तावित बदलाव ने एक बार फिर से ऑटोमोबाइल क्षेत्र को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। लग्ज़री गाड़ियों और तथाकथित 'सिन गुड्स' पर मौजूदा 50% तक कर बोझ घटाकर इसे 40% पर लाने का प्रस्ताव है। यदि ऐसा होता है तो न केवल छोटे वाहनों और दोपहिया वाहनों की कीमतें कम होंगी, बल्कि बड़े सेडान और एसयूवी जैसे महंगे वाहनों पर भी उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

हम आपको बता दें कि इस समय चार मीटर से लंबी और अधिक इंजन क्षमता वाली गाड़ियों पर 28% जीएसटी और 22% सेस लगता है। यदि सेस हटाकर एक समान 40% जीएसटी लगाया गया तो ऐसी गाड़ियों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। हालांकि, कुछ राज्यों ने मांग की है कि ऊँचे दर्जे की गाड़ियों पर अतिरिक्त सेस लगाया जाए, ताकि राज्यों के राजस्व में कमी न आए।

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इसके अलावा, सरकार के सूत्रों के अनुसार छोटे वाहनों और टू-व्हीलर्स पर कर का बोझ 29% से घटकर 18% हो सकता है। इसका लाभ सीधे आम उपभोक्ता को मिलेगा। भले ही एसयूवी खरीदने वालों के लिए मूल्य में कमी का अनुपात अधिक होगा, लेकिन दोपहिया वाहन क्षेत्र में यह कदम ग्रामीण और अर्धशहरी उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण राहत बन सकता है।

हम आपको बता दें कि वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों पर सिर्फ 5% जीएसटी है। अगर पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों पर कर बोझ घटाया गया तो ईवी और पारंपरिक वाहनों के बीच कर अंतर घट जाएगा। अभी यह अंतर 23 प्रतिशत अंक का है, लेकिन प्रस्तावित कटौती के बाद यह घटकर 13 प्रतिशत अंक रह जाएगा। यह स्थिति ईवी सेक्टर के लिए हानिकारक हो सकती है, विशेषकर दोपहिया वाहनों के दायरे में जहाँ कीमत उपभोक्ता के लिए सबसे बड़ी बाधा है।

देखा जाये तो सरकार और उपभोक्ता दोनों की चिंता है कि क्या ऑटोमोबाइल उद्योग वास्तव में इस कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाएगा। हम आपको बता दें कि अतीत में कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने टैक्स रियायतों का लाभ खुद की जेब में रखा और कीमतों में अपेक्षित कमी नहीं की। भले ही इस मामले में एंटी-प्रॉफिटियरिंग क्लॉज लागू नहीं होता, लेकिन सरकार का दबाव रहेगा कि कंपनियाँ लाभ को कीमतों में परिलक्षित करें ताकि मंदी झेल रहे ऑटो सेक्टर में मांग बढ़ सके।

बहरहाल, प्रस्तावित जीएसटी दर कटौती उपभोक्ताओं को राहत देने वाली और ऑटो सेक्टर को प्रोत्साहन देने वाली पहल है। परंतु इसके साथ ही राज्यों के राजस्व घाटे, ईवी सेक्टर के भविष्य और कंपनियों के लाभ बांटने की प्रवृत्ति जैसे सवाल भी खड़े हैं। अंतिम फैसला जीएसटी परिषद अगले महीने लेगी, लेकिन यह तय है कि यह निर्णय भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की दिशा और गति को गहराई से प्रभावित करेगा।

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