सबरीमला मुद्दे पर तकरार जारी, आदिवासियों ने लगाया रीति-रिवाज खत्म का आरोप

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 17, 2018

निलक्कल/पत्तनमतिट्टा (केरल)। प्राचीन सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश देने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले का, बुधवार को पहली बार मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने से पहले कई श्रद्धालुओं ने विरोध किया जिसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति संबंधी फैसले के खिलाफ प्रदर्शन के कारण दो महिला श्रद्धालु मंदिर तक नहीं पहुंच सकीं।भगवान अयप्पा के मंदिर जाने के लिए सबरीमला पहाड़ी पर चढ़ाई कर रही आंध्रप्रदेश की 50 वर्ष से कम आयु की एक महिला को पुरूष श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के कारण पम्बा वापस लौटना पड़ा।पहाड़ी पर चढ़ने के लिए पुलिस ने महिला को सुरक्षा मुहैया कराई थी लेकिन प्रदर्शन के कारण उन्हें लौटना पड़ा।

शीर्ष अदालत के फैसले के बावजूद सबरीमला जा रही अलपुझा जिले की 50 वर्ष से कम आयु की एक महिला को पत्तनमतिट्टा बस अड्डे पर यात्रियों ने रोक दिया। अयप्पा मंत्र का जाप कर रही कुछ महिलाओं सहित यात्रियों ने लिबी नाम की इस महिला से कहा कि वह रजस्वला आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश नहीं करने की सदियों पुरानी परंपरा को ना तोड़े। लिबी ने कहा कि वह मंदिर जाएगी और शीर्ष अदालत से मिली आजादी को छीनने का अधिकार किसी को नहीं है। बाद में पुलिस ने उसे बस अड्डा से सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस ने सबरीमला पहाड़ी पर स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर जाने के तीनों महत्वपूर्ण रास्तों पम्बा, निलक्कल और एरूमेलिते पर सुरक्षा कड़ी कर दी है।

अयप्पा मंदिर में रजस्वला आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति के फैसले के खिलाफ निलक्कल में प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है।तिरूवनंतपुरम में केरल के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने कहा कि राज्य में किसी को कानून-व्यवस्था भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। रजस्वला आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का विरोध कर रहे श्रद्धालुओं के खिलाफ पुलिस के बल प्रयोग के कुछ घंटे बाद ही सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी निलक्कल में जुट गए। सबरीमला का गेटवे कहलाने वाले निलक्कल में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु भी एकत्र हैं जहां तेजतर्रार दक्षिणपंथी हिन्दू नेता के. पी. शशिकला उन्हें संबोधित करेंगी। कांग्रेस भी निलक्कल में धरना देगी।

इससे पहले बुधवार की सुबह सबरीमला मंदिर में रजस्वला आयुवर्ग की लड़कियों और महिलाओं को प्रवेश की अनुमति का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस द्वारा बल प्रयोग किए जाने के बाद मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल में माहौल तनावपूर्ण हो गया था।सबरीमला पहाड़ी से करीब 20 किलोमीटर दूर निलक्कल में बड़ी संख्या में तैनात पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के प्रवेश संबंधी फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे समूह ‘सबरीमला आचार संरक्षण समिति’ के तंबू आदि भी हटा दिए। अयप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कुछ श्रद्धालु धरना दे रहे हैं और अयप्पा मंत्र का जप कर रहे हैं।

बुधवार तड़के जब प्रदर्शनकारियों ने मंदिर तक जाने के मुख्य रास्ते पर बसों को रोकने का प्रयास किया तो पुलिस को उनके खिलाफ बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही वहां बेहद कम संख्या में मौजूद प्रदर्शनकारी भाग निकले। मासिक पूजा के लिए मंदिर खुलने से कुछ घंटे पहले पुलिस ने कहा कि वह किसी को भी लोगों के आने-जाने में अवरोध पैदा नहीं करने देगी।निलक्कल का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में लेते हुए पुलिस ने अयप्पा मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के रास्ते में अवरोध पैदा करने वालों को चेतावनी दी।प्रदर्शनकारियों में से कुछ ने पम्बा जाने वाले वाहनों को जांचा और उनमें सवार 10 से 50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर जाने से रोक दिया। इस पर पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की।

सबरीमला आचार संरक्षण समिति के कार्यकर्ताओं ने सोमवार की रात तमिलनाडु से पम्बा जा रहे 45 और 40 वर्ष की आयु के दंपति को केएसआरटीसी की बस से कथित रूप से उतरने को बाध्य कर दिया था।हालांकि, दंपति का कहना था कि वह सिर्फ पम्बा तक जाएंगे और सबरीमला पहाड़ी पर नहीं चढ़ेंगे। बाद में पुलिस उन्हें सुरक्षित ले गई। निलक्कल में मौजूद सबरीमला आचार संरक्षण समिति के कुछ कार्यकर्ताओं ने मीडियाकर्मियों को भी कथित रूप से उनका काम करने से रोका था। हालांकि, अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के बाद सभी मीडियाकर्मी निलक्कल लौट आए हैं।भगवान अयप्पा स्वामी मंदिर जाने के मुख्य रास्ते निलक्कल पर महिला पुलिसकर्मियों सहित करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात हैं। इस बीच पम्बा में श्रद्धालुओं के एक अन्य समूह ने गांधीवादी तरीके से अपना विरोध जताया।उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयप्पा स्वामी मंदिर के दरवाजे पहली बार बुधवार की शाम खुलने वाले हैं। पांच दिन की मासिक पूजा के बाद दरवाजे 22 अक्टूबर को फिर बंद हो जाएंगे।

 

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