By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 17, 2017
मुंबई। एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने ‘भारतीय बनो, भारतीय खरीदो’ के नारे को आगे बढ़ाते हुए आज कहा कि सरकार को घरेलू कंपनियों के हितों की सुरक्षा के लिए संरक्षणवादी रुख अपनाना चाहिए। पारेख ने आज इंडिया टुडे कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें भी संरक्षणवाद का रुख अपनाना चाहिए। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश जब संरक्षणवाद अपना रहे हैं तो हम क्यों संरक्षणवाद का सहारा नहीं ले सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश बड़ा है, बाजार बड़ा है। हमें भी अपने उद्योग का संरक्षण करना है।’’
हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य ने भी घरेलू उद्योग के लिए कुछ संरक्षण की वकालत की थी। पारेख ने इस्पात उद्योग का उदाहरण दिया जो चीन से सस्ते आयात की वजह से काफी दबाव में है। सरकार द्वारा न्यूनतम आयात मूल्य तय किए जाने के बाद अब यह उद्योग ऊंची क्षमता हासिल करने के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा इस्पात उद्योग इस वजह से परेशानी झेल रहा था क्योंकि हमें चीन से सभी स्टील उत्पाद काफी सस्ते दाम पर मिल रहे थे। उसके बाद सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए न्यूनतम आयात मूल्य तय किया। पारेख ने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप से पहले इस्पात कंपनियां 50 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रही थीं। अब ये कंपनियां 80 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रही हैं। ये कंपनियां अपने कर्ज का भुगतान करने की स्थिति में हैं। मुझे भरोसा है कि अगले कुछ महीनों में यह क्षमता 85 से 90 प्रतिशत हो जाएगी।
पारेख ने कहा कि सरकार प्रत्येक उत्पाद पर डंपिंग रोधी शुल्क नहीं लगा सकती। ऐसे में घरेलू कंपनियों के लिए संरक्षणवादी उपायों की जरूरत है। उन्होंने इस बात से सहमति जताई कि प्रतिस्पर्धा से भारतीय कंपनियां बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकती हैं। प्रतिस्पर्धा की वजह से आने वाले उत्पादों की गुणवत्ता को देखा जाना चाहिए। एचडीएफसी प्रमुख ने कहा कि चीन से जो उत्पाद खपाए जा रहे हैं उनकी गुणवत्ता हमारे उत्पादों की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के ग्राहक काफी समझदार हैं और वे चीन के उत्पाद नहीं खरीदना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात को जानता हूं कि जब कोई आम आदमी कार खरीदता है, तो वह चीन का टायर या अन्य चाइनीज एक्सेसरीज नहीं खरीदना चाहेगा। ‘‘भारतीय बनें और भारतीय खरीदें।’’