दिल्ली उच्च न्यायालय ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज को खोलने की अनुमति दी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 01, 2022

नयी दिल्ली|  दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को निजामुद्दीन मरकज के उन हिस्सों को दोबारा खोलने की अनुमति दे दी जहां कोविड-19 महामारी के बीच मार्च 2020 में तबलीगी जमात का समागम हुआ था और तब से यह बंद था। अदालत के इस फैसले के बाद रमजान के महीने में वहां इबादत की जा सकेगी।

रमजान के महीने में मरकज स्थित मस्जिद को खोलने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने स्पष्ट किया कि परिसर में कोई ‘‘तबलीगी गतिविधि’’या तकरीर नहीं होगी और केवल इबादत की जा सकेगी।

अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि रमजान के दौरान मस्जिद बंगले वाली के भूतल और चौथी मंजिल पर नमाज तथा धार्मिक इबादत की अनुमति होगी। यह व्यवस्था केवल रमजान के एक महीने के लिए है जिसका समापन ईद उल फित्र के साथ होगा।’’

इसने कहा, ‘‘धार्मिक इबादत और नमाज की अनुमति है, लेकिन तबलीगी गतिविधि की नहीं।इबादत की जा सकती है लेकिन तकरीर नहीं।’’ अदालत ने कहा कि तात्कालिक अनुमति 16 मार्च के आदेश की निरंतरता में है जिसमें शब-ए-बरात के लिए मरकज को दोबारा खोलने के लिए कई शर्तें लगाई गई थीं। इसने इसके साथ ही परिसर के प्रवेश, निकास और प्रत्येक मंजिल की सीढ़ियों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया।

साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि रमजान के दौरान कैमरे पूरी तरह से काम करें और इसकी जिम्मेदारी मरकज प्रबंधन की होगी।

उल्लेखनीय है कि अदालत ने शब-ए-बरात के लिए एक तल पर 100 लोगों की सीमा हटा दी थी और मस्जिद के प्रबंधन ने सहमति दी थी कि वहां नमाज के दौरान कोविड-19 नियमों और सामाजिक दूरी का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।

दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने चौथी मंजिल पर इबादत करने की अनुमति देने का विरोध करते हुए कहा कि स्थल योजना के तहत मस्जिद केवल भूतल तक सीमित है।

इस पर अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘अगर अधिक मंजिल होगी तो अधिक स्थान होगा...क्या (चौथी मंजिल को खोलने का विरोध करने का) कोई कारण है, बताएं। अधिक क्षेत्र बेहतर होगा। अधिक स्थान हमेशा सहायक होता है।’’

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में कोविड-19 की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के जमावड़े और विदेशियों के ठहरने के मामले में महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत कई प्राथमिकी दर्ज की गई थीं।

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