By अभिनय आकाश | Dec 07, 2022
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का चुनाव जीत लिया है। इसी के साथ ही एमसीडी में भाजपा का 15 साल का शासन समाप्त हो गया। 250 वार्ड वाले एमसीडी में अरविंद केजरीवाल की पार्टी 134 वार्डों पर जीत गई है। बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत हासिल की है और कांग्रेस सिर्फ 9 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर है। एमसीडी में 250 वार्ड हैं, और साधारण बहुमत का आंकड़ा 126 का है, जिसे आप ने पार कर लिया।
इस बीच बीजेपी और आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपना अपना मेयर बनाने का दावा करते नजर आए। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि एमसीडी में बीजेपी का मेयर बनेगा। गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल ने हमें कहा था कि 20 सीटें आएंगी जबकि आप की 100 से नीचे सीटें आएंगी। वहीं आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी एमसीडी चुनाव हार गई है. आप का ही मेयर इस बार बनेगा।
पार्षदों पर नहीं लागू होता दल-बदल कानून
भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची में मौजूद दल-बदल विरोधी कानून केवल संसद और राज्य विधानमंडलों पर लागू होता है। नगर निकायों पर इसके लागू होने का प्रावधान नहीं है। अगर राज्य सरकार चाहे तो नगर निगम, पालिकाओं से जुड़े कानून में संशोधन कर निर्वाचित निकाय प्रतिनिधियों के दल-बदलने पर अंकुश लगा सकती है। बीते वर्ष हिमाचल प्रदेश में नगर निगम कानून में संशोधन कर ऐसा किया जा चुका है।
एक साल का होता है मेयर का कार्यकाल
महापौरों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस वर्ष, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा तीन पूर्ववर्ती नगर निगमों का पुन: एकीकरण किया गया था और वार्डों की संख्या में कमी के लिए परिसीमन की आवश्यकता थी, एमसीडी के चुनाव प्रथागत अप्रैल के बजाय दिसंबर में हुए।
पहले साल महिला को ही चुना जा सकता
दिल्ली नगर निगम अधिनियम के अनुसार एक चुनाव के बाद पहली महापौर के रूप में एक महिला को स्थापित करने का प्रावधान है।जबकि जीतने वाली पार्टी का कार्यकाल आम तौर पर पांच साल होता है, उसे पहले वर्ष में एक महिला पार्षद और तीसरे में आरक्षित वर्ग से एक पार्षद को नामित करना होता है।