By विजयेन्दर शर्मा | Aug 03, 2021
पालमपुर। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है देश में नई जनगणना जाति आधार पर करने की कुछ नेता मांग कर रहे हैं। यह मांग बिलकुल गलत और खतरों से भरी है। 1930 में जाति आधार पर जनगणना हुई थी। क्योंकि उस समय देश गुलाम था। 1951 में जब जनगणना होने लगी तो जाति आधार पर जनगणना करने की मांग उठाई गई। उस समय के गृह मंत्री भारत के महान नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना से सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा। स्वतन्त्र भारत की सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया। अब 90 साल के बाद फिर से जाति आधार पर जन गणना की मांग बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा भारत को याद रखना चाहिए कि जब देश छोटे टुकड़ों में और जातियों में बंटा। सभी कुछ सैकड़ों विदेशियों ने आकर करोड़ों के भारत को गुलाम बनाया और एक हजार साल तक भारत गुलाम रहा।शान्ता कुमार ने कहा इस बात पर गहरा विचार किया जाना चाहिए कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण करने के बाद भी उन जातियों की गरीबी क्यों दूर नही हुई है। उन जातियों में आरक्षण का लाभ ऊपर के प्रभावशाली और अधिकारी लोग उठाते है। नीचे के गरीबों को लाभ नहीं होता। यही कारण है कि उन जातियों की गरीबी समाप्त नहीं हुई। इसलिए सुप्रीम कोर्ट कई बार आरक्षित जातियों की क्रीमी लेयर (अमीर लोग) को हटाने की बात कह चुका है। परन्तु इन जातियों के नेता उसका विरोध करते हैं क्योंकि वही आरक्षण का पूरा लाभ उठाया है। उन्होंने कहा नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में गरीबी और विषमता बढ़ रही है।
शान्ता कुमार ने कहा अब जन गणना आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। अति गरीब लोगों की अलग से पहचान होनी चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। 72 वर्ष के बाद देश अमीर हुआ है परन्तु 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोते है। यह जातिगत आरक्षण का परिणाम है। उन्होंने कहा आरक्षित जातियों के गरीब लोगों को यह समझना चाहिए कि उनके लिए आरक्षण का लाभ उन जातियों के ऊपर के बड़े लोग उठाते रहे इसीलिए वे गरीब रहे। जब आरक्षण आर्थिक आधार पर होगा तब ही इन गरीबों की गरीबी समाप्त होगी।