By अनन्या मिश्रा | Nov 02, 2025
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में यह तिथि बेहद पवित्र और शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागृत होते हैं। भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागृत होने के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है। वहीं विवाह, गृहप्रवेश और मुंडन जैसे मांगलिक कार्यक्रम पुन: शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में एकादशी तिथि दो दिन पड़ने की वजह से व्रत की सही तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
वैदिक पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 01 नवंबर की सुबह 09:12 मिनट पर शुरू होगी। जोकि 02 नवंबर की शाम 07:23 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में गृहस्थ लोग 01 नवंबर 2025 को और वैष्णव संप्रदाय के लोग 02 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे।
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें। क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को अतिप्रिय माना जाता है। ऐसे में भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजन से पहले आचमन करें और भगवान विष्णु को पीले फूल, पीला चंदन, तुलसी दल और पुष्पमाला अर्पित करें। वहीं प्रसाद में पीली मिठाई, सिंघाड़ा, गन्ना, मौसमी फल और शुद्ध जल का भोग लगाएं। फिर घी का दीपक जलाकर धूप प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु का मंत्रोच्चार करें।
इस दिन विष्णु चालीसा, देवउठनी एकादशी व्रत कथा, श्रीहरि स्तुति और विष्णु मंत्रों का जाप करना विशेष पुण्यदायी माना जाता है। पूजा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।