CWG विजेताओं को राज्यों की सीमाओं में न बांधें, वह देश के हीरो हैं

By नीरज कुमार दुबे | Apr 17, 2018

भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में इस बार शानदार प्रदर्शन किया और 26 स्वर्ण सहित 66 मेडल हासिल कर विदेशी धरती पर खेलों में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों ने सभी खिलाड़ियों की प्रशंसा की और जल्द ही विभिन्न राज्य खिलाड़ियों को अपने-अपने स्तर पर सम्मानित भी करने वाले हैं। लेकिन इस बार के खेलों के दौरान जहां खिलाड़ियों ने देश का मान बढ़ाया वहीं हमसे कुछ बड़ी गलतियाँ हुईं।

 

यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि जब कोई खिलाड़ी मेडल जीत कर भारत का नाम रौशन कर रहा होता था तब यहाँ हम कह रहे होते थे कि हरियाणा के खिलाड़ी ने सोना जीत लिया, उत्तर प्रदेश के खिलाड़ी ने सोना जीत लिया, आंध्र प्रदेश के खिलाड़ी ने कांस्य जीत लिया आदि आदि...। हमें यह पता होना चाहिए कि जब अंतरराष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ी भाग ले रहे होते हैं तो वह राज्य का नहीं देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। जब राष्ट्रीय खेलों में विभिन्न राज्यों की टीमें भाग लें तब यह कहना सही है कि ओडिशा जीत गया या तेलंगाना जीत गया। वैश्विक मंचों पर जब भारतीय खिलाड़ी स्वर्ण हासिल कर रहे होते हैं तब भारत का राष्ट्रगान बजाया जाता है ना कि किसी प्रांत का लोकगीत। हमने खिलाड़ियों को राज्यों की सीमाओं में बांध कर उनका अपमान करने का काम किया है।

 

बात यहीं तक सीमित रहती तो भी ठीक थी, समाज के तौर पर हमसे गलती हो जाये तो भी बात समझ आती है लेकिन सरकार भी ऐसी बड़ी गलती करेगी यह बात आसानी से हजम नहीं होती। भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने राष्ट्रमंडल खेलों में विजेताओं को बधाई के लिए अखबारों में विज्ञापन दिया। इस विज्ञापन में लिखा गया है कि नॉर्दर्न रेलवे ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की झोली में 9 मैडल डाले। यह सही है कि रेल मंत्रालय ने कार्य के सुचारू संचालन के लिए रेलवे के 16 जोन और हर जोन में कई डिविजन बनाये हैं। हर जोन के अलग-अलग कर्मचारी और अधिकारी हैं। जो खिलाड़ी मेडल जीत कर लाये हैं वह भले तकनीकी रूप से नॉर्दर्न रेलवे के कर्मचारी हों लेकिन देश का प्रतिनिधित्व करते समय वह मात्र एक जोन के नहीं रह गये। अच्छा होता कि रेलवे की ओर से खिलाड़ियों को जीत की बधाई दी जाती। यह सब हमारी छोटी सोच और श्रेय खुद लेने की होड़ का परिणाम है। रेल मंत्री पीयूष गोयल को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए था।

 

 

उड़न परी के नाम से मशहूर पीटी उषा ने अपने हालिया ट्वीट में कहा था कि क्या आपने कभी अमेरिका में सुना है कि फ्लोरिडा के लड़के या टेक्सास की लड़की ने मेडल जीत लिया? या आपने कभी सुना है कि आस्ट्रेलिया में मेलबर्न की लड़की ने जीत हासिल की? वाकई हमें इस सोच से ऊपर उठने की जरूरत है नहीं तो हम गांवों, कस्बों, शहरों, महानगरों और राज्यों तक ही सीमित रह जायेंगे। देश बड़ा होता है यह बात सिर्फ कहने की ही नहीं समझने की भी जरूरत है।

 

-नीरज कुमार दुबे

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