By रेनू तिवारी | Oct 20, 2021
अहमदाबाद। हम सभी इस बात से वाकिफ है कि मेडिकल के क्षेत्र में भी अपराध काफी ज्यादा बढ़ें हैं। जहां एक तरफ डॉक्टर्स को भगवान समझा जाता है वहीं कुछ भगवान के भेष में शैतान भी है। जहां कोरोना काल में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ ने मरीजों के लिए न दिन देखा ना रात वहीं कुछ अस्पतालों ने कोरोना को बिजनेस का मौका बना कर कोरोना के नाम पर मरीजों को खूब लूटा। कोरोना काल के दौरान मेडिकल की दुनिया की धांधले बाजी तो हम सबसे देखी लेकिन इससे पहले भी शरीर के अंगों को चुराकर बेचने के कई केस हम सबके सामने आ चुके हैं। हांलाकि सख्ती के बाद इस तरह के अपराध कम देखें गये हैं। ताजा खबर की बात करें तो गुजरात के एक अस्पताल से एक ऐसी घटना सामने आयी है जिसे सुनकर आपका थोड़ी देर के लिए डॉक्टर्स के उपर से विश्वास उठ जाएगा। अहमदाबाद के एक अस्पताल में एक मरीज अपने किडनी स्टोन का ऑपरेशन करवाने के लिए गया। जहां डॉक्टर्स ने उसकी पथरी की बजाए उसकी किडनी निकाल दी।
पथरी निकलवाने गए मरीज की डॉक्टर ने निकाली किडनी
अहमदाबाद की एक उपभोक्ता अदालत ने एक अस्पताल को एक मरीज के परिवार को ब्याज सहित मुआवजे के रूप में 11.23 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। उस अस्पताल में एक डॉक्टर ने किडनी में पथरी का ऑपरेशन करने के बदले मरीज की किडनी ही निकाल दी थी जिससे उस मरीज की तुरंत ही मौत हो गयी थी। उपभोक्ता अदालत ने गुजरात के महिसागर जिले के बालासिनोर में एक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित केएमजी जनरल अस्पताल को अपने कर्मचारियों के लापरवाहीपूर्ण कार्य के लिए नियोक्ता की जिम्मेदारी के जरिए चिकित्सा में लापरवाही का दोषी ठहराया।
अस्पताल को देना होगा 11 लाख का मुआवजा
अहमदाबाद में गुजरात उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के पीठासीन सदस्य डॉ जेजी मेकवान द्वारा हाल ही में पारित एक आदेश में कहा गया है, ‘‘कोई नियोक्ता न केवल अपनी चूक के लिए बल्कि अपने कर्मचारियों की लापरवाही के लिए भी जिम्मेदार है...।’’ आयोग ने अस्पताल को शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज कराए जाने की तारीख से 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ 11.23 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।। इसके साथ ही मानसिक पीड़ा और कानूनी खर्च के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने को कहा गया।
अदालत का यह आदेश यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर एक याचिका पर आया जिसमें मृतक मरीज देवेंद्र रावल के कानूनी वारिसों की शिकायत पर अगस्त, 2012 में जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गयी थी। जिला आयोग ने 2012 के अपने आदेश में डॉक्टर, अस्पताल और बीमा कंपनी को ब्याज सहित 11.23 लाख रुपये का मुआवजा शिकायतकर्ता को देने का आदेश दिया था।