बीते सप्ताह Edible oil, तिलहन कीमतों में मजबूती का रुख

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 02, 2023

नयी दिल्ली। विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम नीचे जाने के बाद थोड़ा सुधरने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में मजबूती दिखाई दी। सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल जैसे देशी तेल- तिलहन के अलावा कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन के भाव भी पिछले सप्ताहांत के मुकाबले लाभ के साथ बंद हुए। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में सीपीओ और सोयाबीन के भाव ज्यादा नीचे हो गये थे जिसमें समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार हुआ है। लेकिन देश में बहुतायत में आयात हो चुके सूरजमुखी तेल का दाम आज भी सीपीओ से नीचे ही बना हुआ है। जिस सोयाबीन डीगम तेल का भाव पहले 1,060-1,070 डॉलर प्रति टन था वह अब सुधरता हुआ 1,110-1,120 डॉलर प्रति टन हो गया है।

सूरजमुखी तेल का भाव तो अब भी सोयाबीन तेल से लगभग 70 डॉलर नीचे है और लिवाल नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि हैरत इस बात की होती है कि सरकार ने शुल्कमुक्त आयात की छूट इसलिए दी थी कि उपभोक्ताओं को खाद्य तेल लगभग छह रुपये सस्ता मिले पर हो ये रहा है कि शुल्कमुक्त आयात करने वाले इसी सस्ते तेल को बंदरगाह में थोक में प्रीमियम राशि वसूल कर बेच रहे हैं। खुदरा बाजार में तो यह उपभोक्ताओं को लगभग दोगुने दामों पर उपलब्ध है। सूत्रों ने कहा कि संभवत: आम चुनाव से पहले आयात शुल्क नहीं बढ़ाने की हिचकिचाहट के कारण देश सस्ते आयातित खाद्य तेलों से पटता जा रहा है। राजस्थान के जयपुर में गत 13 मार्च को हुए तेल संगठनों के सेमिनार में बैठक के दौरान यह आवाज उठी कि मुद्रास्फीति को दुरुस्त रखने के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के निर्धारण की व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिये और इसकी जिम्मेदारी तेल संगठन ‘मोपा’ और केंद्रीय खाद्य तेल उद्योग एवं व्यापार संगठन (सीओओआईटी) को दी गई है।

सूत्रों ने कहा कि सोपा निरंतर देश के तेल उद्योग और किसान हितों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहा है और उसने वायदा कारोबार पर अंकुश जारी रखने के अलावा तेल उद्योग और किसानों की समस्या के बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखने के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष भी इन चिंताओं को रखा है। सोपा का कहना है कि अगर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया गया तो किसान भविष्य में तिलहन खेती करने से कतरायेंगे। इसके अलावा देश के तेल मिलों को भी सरसों, सोयाबीन, बिनौला आदि जैसे देशी तिलहनों की पेराई में नुकसान की स्थिति झेलनी पड़ रही है क्योंकि उनकी जो लागत आती है उससे काफी कम दाम पर सूरजमुखी जैसे आयातित ‘सॉफ्ट आयल’ बाजार में भारी मात्रा में उपलब्ध है।

सूत्रों ने कहा कि गत दो साल से आयातित तेलों के दाम ऊंचे थे तो सोयाबीन और सरसों की आसानी से खपत हो गयी और किसानों ने इससे उत्साहित होकर तिलहन उत्पादन इसबार भी बढ़ा दिया जिससे सरसों और सोयाबीन का उत्पादन बढ़ा। लेकिन शुल्कमुक्त आयात की छूट के बाद भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात होने और विदेशों में खाद्य तेलों के दाम रसातल में जाने से स्थिति एकदम पलट गई। उल्लेखनीय है कि सूरजमुखी का एमएसपी बढ़ाने के बावजूद भी सूरजमुखी के उत्पादन में कोई खास वृद्धि नहीं देखने को मिल रही है। सूत्रों ने कहा कि सरकार को तत्काल सीमा शुल्क या आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में कोई फैसला करना होगा और इसमें देरी नुकसानदेह हो सकती है। अगर सरकार को मुद्रास्फीति की चिंता हो रही है तो उसे निजी कंपनियों से खाद्य तेलों का आयात करवा कर उसे प्रसंस्कृत करने के बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये आम जनता को उपलब्ध कराने की बहुत पहले की पुरानी व्यवस्था की ओर लौटने के बारे में सोचना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयात की मौजूदा स्थिति को काबू नहीं किया गया तो देश में मवेशियों और मुर्गीदाने के लिए खल एवं डीआयल्ड केक (डीओसी) की दिक्कत बढ़ेगी। इसी वजह से शनिवार को एक बार फिर कुछ दूध कंपनियों ने दूध के दाम बढ़ाए हैं। उल्लेखनीय है कि खाद्य तेल से लगभग छह गुना अधिक खपत देश में दूध की होती है और इससे मुद्रास्फीति बढ़ने की चिंता हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 265 रुपये बढ़कर 5,460-5,535 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में सरसों दादरी तेल 300 रुपये बढ़कर 10,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की घानी तेल का भाव 35-35 रुपये बढ़कर क्रमश: 1,715-1,785 रुपये और 1,715-1,835 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि सस्ते दाम पर किसानों द्वारा काफी कम बिक्री करने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव भी क्रमश: 220 रुपये और 145 रुपये सुधरकर क्रमश: 5,360-5,535 रुपये और 5,120-5,160 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। इसी के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 250 रुपये, 200 रुपये और 350 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 11,250 रुपये, 11,100 रुपये और 9,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों के भाव में भी मजबूती रही।

इसे भी पढ़ें: Reserve Bank के ब्याज दर पर निर्णय, वैश्विक रुख से तय होगी शेयर बाजार की चाल

मूंगफली तिलहन का भाव 50 रुपये सुधरकर कर 6,815-6,875 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 120 रुपये सुधरकर 16,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 15 रुपये की तेजी के साथ 2,545-2,810 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 450 रुपये बढ़कर 8,950 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये बढ़कर 10,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला का भाव भी 550 रुपये के सुधार के साथ 9,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सुधार के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी समीक्षाधीन सप्ताह में 600 रुपये के सुधार के साथ 9,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

प्रमुख खबरें

Idli For Breakfast: नाश्ते को बनाना है टेस्टी और हेल्दी तो सर्व करें ये अलग-अलग तरह की इडली

World Laughter Day 2024: खुश रहना और खुशियां बांटना है वर्ल्ड लाफ्टर डे का उद्देश्य, जानिए इतिहास

World Laughter Day 2024: हंसी ही दुनिया को एकजुट करने में सक्षम

भारत की पुरुष 4x400 मीटर टीम विश्व रिले की हीट को पूरा करने में नाकाम