By अभिनय आकाश | Oct 14, 2025
अमेरिका और चीन दोनों पूरे विश्व में अपनी जिद अपनी मनमानी करने के लिए बदनाम है और यही कारण है कि समय-समय पर इन दोनों देशों के बीच टशन देखने को ही मिल जाता है। आज फिर एक बार दोनों के बीच आर्थिक जंग छिड़ी चुकी है और इस बार कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बात बात पर दुनिया को टैरिफ का धौंस दिखा सभी को डराने में लगे हैं। लेकिन ट्रंप की धमकी से अब ड्रैगन भड़क गया है। अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। राष्ट्रपति ट्रंप का टैरिफ वॉर इस मोड़ पर आ चुका है कि अब इसका नुकसान सिर्फ अमेरिका को ही नहीं पूरी दुनिया को उठाना पड़ेगा। ट्रंप ने बीते दिनों चीन पर 100% का टैरिफ लगाने की चेतावनी दी। जिसके बाद ड्रैगन भड़क उठा है। अब चीन ने ऐसा कदम उठाने की बात कही है जिसका असर अमेरिका, यूरोप सहित दुनिया के तमाम देशों पर पड़ने वाला है। बीजिंग ने ऐलान किया है कि वो दुनियाभर में कई समानाों की सप्लाई बंद करने वाला है। चीन ने कहा है कि वो नवंबर से कार से लेकर कंप्यूटर तक और चिप से लेकर फाइटर जेट तक की सप्लाई ग्लोबल मार्केट में बंद कर देगा। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका और यूरोप पर पड़ेगा। चीन के ताजा ऐलान के अनुसार 8 नवंबर से प्रतिबंधों का पहला चरण शुरू होगा और 1 दिसंबर से दूसरे चरण की शुरुआत होगी।
चीन ने ये कदम ऐसे समय में उठाया है जब दुनियाभर में विनिर्माण को लेकर कच्चे माल की सप्लाई पर असर पड़ रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। नया टैरिफ 1 नवंबर से लागू होगा। चीन से अमेरिका आने वाले सामानों पर पहले से 30% टैरिफ लग रहा है। ऐसे में चीन पर कुल 130% टैरिफ लगेगा। यानी एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ने वाला है, जिसका असर दुनियाभर में देखने को मिलेगा। ट्रंप ने 100% टैरिफ के साथ यह भी कहा कि 1 नवंबर से चीन के लिए अहम सॉफ्टवेयर निर्यात पर भी कंट्रोल लागू किया जाएगा। यानी चीन को कुछ अमेरिकी सॉफ्टवेयर नहीं मिलेंगे। इससे पहले ट्रप ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया था, तब चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैक्स लगाया था। बातचीत के बाद US ने टैरिफ 30% और चीन ने 10% कर दिया था, अब कुछ समय की शांति के बाद दोनों मुल्क फिर से ट्रेड वॉर की कगार पर आ खड़े हुए है।
ट्रंप का यह फैसला चीन की नई निर्यात नीति के जवाब में आया है। 9 अक्टूबर को चीन ने अपने दुर्लभ खनिजों (रेयर अर्थ मिनिरल्स) के निर्यात पर नियम और सख्त कर दिए। ये खनिज दुनिया की तकनीकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते है, इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वीकल्स, मिसाइल गाइडेस सिस्टम, रडार, सोलर पैनल और चिप निर्माण तक में होता है। चीन के इस कदम के बाद दुनियाभर में ई वाहन, कंप्यूटर चिप और अन्य डिवाइस के सेक्टर में असर पड़ा। इसमें भारतीय विर्निमाण सेक्टर भी शामिल है। अब चीन ने एक बार फिर पूरी दुनिया को निशाना बनाते हुए नए प्रतिबंधों का ऐलान कर दिया। चीन ने अब मिलिट्री कंपोनेंट सहित तमाम कई उपकरणों के निर्यात पर रोक लगा दी है। इसमें मिसाइल और फाइटर जेट में इस्तेमाल होने वाले शक्तिशाली इल्केट्रिकल मोटर टैंक में इस्तेमाल होने वाले लक्ष्य को निर्धारित करने वाले आयुथ सहित कई सैन्य उपकरण शामिल हैं।
चीन ने संकेत दिया कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 100 प्रतिशत शुल्क की धमकी के बावजूद पीछे नहीं हटेगा। उसने अमेरिका से आग्रह किया कि वह धमकियों के बजाय बातचीत के जरिये मतभेदों को सुलझाए। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने ऑनलाइन जारी एक बयान में कहा, 'चीन का रुख स्पष्ट है। हम शुल्क युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हम इससे डरते भी नहीं है।' यह प्रतिक्रिया ट्रंप द्वारा एक नवंबर तक चीन से आयात पर कर बढ़ाने की धमकी के दो दिन बाद आई है। यह धमकी कई उपभोक्ता और सैन्य उत्पादों के लिए एक प्रमुख घटक, दुर्लभ मृदा खनिजों के निर्यात पर चीन द्वारा लगाए गए नए प्रतिबंधों के जवाब में दी गई थी। इस घटनाक्रम से ट्रंप और चीन के नेता शी चिनफिंग के बीच संभावित बैठक पटरी से उतरने और शुल्क युद्ध को लेकर बनी सहमति को लेकर संकट पैदा हो गया है। ट्रंप ने इस साल कई अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर कर बढ़ा दिया है, ताकि शुल्क में कटौती के बदले में रियायतें हासिल की जा सके।
इस टकराव का असर पूरी दुनिया की सप्लाई चेन पर पड़ेगा। चीन दुनिया की 70% रेयर अर्थ सप्लाई और 90% प्रोसेसिंग पर नियंत्रण है। ऐसे में अमेरिका या यूरोप के किसी देश के लिए इन खनिजों के बिना तकनीकी उत्पादन जारी रखना लगभग असंभव है। ट्रंप के 130% टैरिफ से अमेरिकी टेक कंपनियों, ऑटोमेकर्स और डिफेस सेक्टर की लागत कई गुना बढ़ सकती है।
भारतीय निर्यातको को बड़ा फायदा हो सकता है। चीन से जाने वाला सामान अमेरिका में महंगा होगा। एक्सपर्ट का कहना है कि अब अमेरिकी बाजार में चीन की जगह भारत ले सकता है। कपड़ा, खिलौना और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे सेक्टरों में भारत का निर्यात बढ़ने की संभावना है। फिलहाल भारत से अमेरिका को 86 अरब डॉलर का निर्यात होता है, जो आने वाले महीनों में तेजी से बढ़ सकता है।