नानू की जानू को मिस मत करिये, यह बड़ी मजेदार फिल्म है

By प्रीटी | Apr 23, 2018

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'नानू की जानू' दर्शकों को जरूर देखनी चाहिए। कॉमेडी और हॉरर का मिश्रण यह फिल्म 2014 में आई फिल्म 'पिसासु' का रीमेक है। इससे पहले यह फिल्म तेलुगू और कन्नड़ में भी बन चुकी है। यदि आप मूड हल्का करना चाहते हैं तो परिवार सहित इस फिल्म को देख सकते हैं। हॉरर का तड़का फिल्म में है जरूर लेकिन वह आपको डराने की बजाय गुदगुदायेगा ज्यादा। फिल्म अंत में सड़क पर सुरक्षा बरतने का संदेश भी देती है।

फिल्म की कहानी नानू (अभय देओल) और जानू (पत्रलेखा) के इर्दगिर्द घूमती है। नानू दिल्ली में रहता है और गुंडागिरी करता है। वह लोगों को धमकाता है और उनके मकान पर कब्जा करने का काम करता है। उसका साथी डब्बू इस काम में उसकी पूरी मदद करता है। दोनों का काम सही चल रहा होता है कि एक दिन अचानक नानू की जिंदगी में सब कुछ अजीब होने लगता है। वह परेशान हो जाता है। असल में उसके पीछे सिद्धि उर्फ जानू (पत्रलेखा) पड़ गयी है जोकि भूतनी है। उसका दिल नानू पर आ गया है। वह चाहती है कि नानू उसका हो जाये इसके लिए वह जो कुछ करती है उसका असर नानू की जिंदगी पर पड़ता है और उसके साथ उलटा सीधा घटित होने लगता है। डब्बू और उसके पड़ोसी नानू की मदद करते हैं ताकि वह मुश्किलों से छुटकारा पा सके लेकिन ऐसा हो पाता है या नहीं यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

 

अभिनय के मामले में अभय देओल का जवाब नहीं। वह भले कम फिल्में करते हैं लेकिन जो भी करते हैं उसमें अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ते हैं। पत्रलेखा का रोल छोटा है लेकिन निर्देशक उनसे भी बढ़िया काम लेने में सफल रहे हैं। मनु ऋषि ने भी अपने काम से दर्शकों को प्रभावित किया। ना सिर्फ उन्होंने अच्छी एक्टिंग की है बल्कि फिल्म की पटकथा भी उन्होंने लिखी है जोकि काफी मजेदार है। अन्य सभी कलाकार सामान्य रहे। फिल्म का गीत-संगीत ठीकठाक है। निर्देशक फराज हैदर इससे पहले फिल्म 'ओए लक्की, लक्की ओए' के सहायक निर्देशक रह चुके हैं। इस फिल्म के बाद उनके पास ढेरों फिल्मों के प्रस्ताव आना तय है।

 

कलाकार- अभय देओल, पत्रलेखा, बृजेंद्र काला, मनु ऋषि और निर्देशक फराज हैदर।

 

प्रीटी

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