कोयला खनन का विरोध कर रहे ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 17, 2022

अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)|  छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पुलिस ने कोयला खनन परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल दस ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

सरगुजा जिले के पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने साल्ही गांव के करीब खनन करने वाली कंपनी के सामान को नुकसान पहुंचाया था। जिसके बाद पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परियोजना स्थल पर तैनात सुरक्षा कंपनी के अधिकारी अनुपम दत्ता ने पुलिस में शिकायत की है कि शुक्रवार दोपहर एक रैली के रूप में लगभग 250 लोग परियोजना स्थल पर पहुंचे और वहां तोड़फोड़ की। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारीधारदार और पारंपरिक हथियारों से लैस थे। उन्होंने लगभग 10 लाख रुपए मूल्य के जनरेटर और अस्थायी टिन शेड सहित कंपनी की संपत्तियों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी, ​वहां काम करने वाले कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया, उन्हें धमकाया और उनकी पिटाई भी की।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शिकायत के बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत रामलाल करियम, बालसाय, मुनेश्वर पोर्ते, जगरनाथ बड़ा, अंतरम, आनंद कुसरो, धरम मारपच्ची, पवन कुसरो, नंदा कुसरो, कृष्ण कुसरो और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने बताया कि अभी इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

मामले की जांच की जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में सरगुजा और सूरजपुर जिले में स्थित परसा खनन परियोजना के लिए 841.538 हेक्टेयर वन भूमि के गैर-वानिकी उपयोग के लिए अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है। खदान का आवंटन राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेडको किया गया है। क्षेत्र के फतेहपुर और हरिहरपुर सहित परियोजना से प्रभावित अन्य गांवों के निवासी पिछले लंबे समय से खदान का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीण कथित फर्जी ग्राम सभा की जांच की मांग कर रहे हैं, जिसके आधार पर खनन के लिए मंजूरी दी गई थी।

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज मामले को लेकर कहा कि लोग लंबे समय से परसा परियोजना का विरोध कर रहे हैं।

पिछले साल उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध मार्च निकाला और पैदल लगभग तीन सौ किलोमीटर की दूरी तय करके रायपुर पहुंचे थे।

लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है। शुक्ला ने कहा कि आदिवासियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर विरोध को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

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