नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अदालत की अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण पर सोमवार को एक रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसे उन्हें 15 सितंबर तक अदा करना होगा। पीठ ने प्रशांत भूषण को सजा सुनाते हुये कहा कि जुर्माना राशि जमा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की साधारण कैद भुगतनी होगी और तीन साल तक उनके वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा। इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :-
- 27 जून : भूषण ने भारत में अघोषित आपातकाल और उच्चतम न्यायालय तथा इसके पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका को लेकर ट्वीट किया।
- 29 जून : भूषण ने कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान अपने गृह नगर नागपुर में हार्ले डेविडसन मोटर साइकिल पर बैठे प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया।
- 22 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने एक वकील की शिकायत पर भूषण को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की।
- 14 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने भूषण को न्यायपालिका के खिलाफ उनके दो ट्वीट के लिये आपराधिक अवमानना का दोषी करार दिया।
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- 24 अगस्त : सजा पर सुनवाई के दौरान भूषण ने उच्चतम न्यायालय से माफी मांगने से इनकार किया।
- 25 अगस्त : अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से भूषण को सजा न देने का अनुरोध किया। उच्चतम न्यायालय ने भूषण से दोबारा माफी मांगने के लिये कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उच्चतम न्यायालय ने भूषण की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा।
- 31 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाया, जिसका उन्हें 15 सितंबर तक भुगतान करना होगा। ऐसा न करने पर उन्हें तीन महीने जेल की सजा हो सकती है और तीन साल तक उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जा सकती है।