स्थानीय निकायों में अध्यक्ष बनने के लिए पार्षद होना अनिवार्य नहीं, अब आम मतदाता भी लड़ सकेंगे चुनाव

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 17, 2019

जयपुर। राजस्थान में स्थानीय निकायों में महापौर, सभापति व अध्यक्ष बनने के लिए अब पार्षद होना अनिवार्य नहीं है। किसी निकाय में पार्षद बनने की योग्यता रखने वाला व्यक्ति सम्बद्ध निकाय के प्रमुख पद के लिएदावेदारी कर सकता है। स्वायत्त शासन विभाग ने बुधवार रात इस बारे में अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना ‘राजस्थान नगरपालिका (निर्वाचन) (चतुर्थ संशोधन) नियम 2019’ केअनुसार नगरपालिका संस्था के सिर्फ निर्वाचित सदस्य/पार्षद ही अध्यक्ष/सभापति/महापौर पद के लिए मतदान करके अपने अध्यक्ष/सभापति/महापौर को निर्वाचित कर सकेंगे।

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इसके साथ ही इसमें यह भी कहा गया है किनिर्वाचित सदस्य व नगरपालिका/परिषद/निगम क्षेत्र का कोई भी मतदाता जो सदस्य/पार्षद बनने की पात्रता रखता है और सदस्य/पार्षद बनने के लिये अयोग्य नहीं है, वह उस नगरपालिका/परिषद/निगम का अध्यक्ष/सभापति/महापौर का चुनाव लड़ सकता है। यानी नगर निकाय प्रमुख का चुनाव लड़ने के लिए जरूरी नहीं है कि वह निर्वाचित पार्षद हो। यह अधिसूचना ऐसे समय में जारी की गयी है जबकि सोमवार को ही राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में नगरीय निकायों में नगर निगम मेयर, नगर परिषद् सभापति व नगर पालिका चेयरमैन के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ना होकर परोक्ष प्रणाली से करवाने का फैसला किया था। यानी ये चुनाव मतदाता सीधे न कर पार्षद करेंगे। 

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उल्लेखनीय है कि राज्य में नवंबर माह में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं। राज्य सरकार की इस पहल पर मिली जुली प्रतक्रिया देखने को मिली है। जानकारों के अनुसार नये नियमों में कुछ चीजें अब भी स्पष्ट नहीं हैं।स्वायत शासन व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल इस नयेमॉडल के बारे में गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन करने वाले थे जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया। 

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