मानवीय उपभोग के लायक नहीं बचा है गोमती नदी का पानी

By शुभ्रता मिश्रा | Feb 19, 2018

शुभ्रता मिश्रा/इंडिया साइंस वायरः करीब दो दशक से लखनऊ के निरंतर बढ़ते शहरीकरण का असर गोमती नदी पर भी पड़ रहा है और इसका पानी अब मानवीय उपभोग लायक नहीं बचा है। गोमती नदी के जल-गुणवत्ता सूचकांक के विश्लेषण के आधार पर लखनऊ विश्वविद्यालय और बाराबंकी स्थित रामस्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह खुलासा किया है। 

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार गोमती नदी के पानी का औसत जल-गुणवत्ता सूचकांक 69.5 पाया गया है। लखनऊ के प्रवेशद्वार पर गोमती का जल-गुणवत्ता सूचकांक 42.9 है और वहां पानी की गुणवत्ता बेहतर पायी गई है। लखनऊ से होकर गुजरने के बाद शहर के अंतिम छोर पर गोमती नदी का जल-गुणवत्ता सूचकांक 101.9 पाया गया है।

 

सतह जल और भूजल गुणवत्ता मानकों के बीच संबंध का पता लगाने के लिए लखनऊ के आठ अलग-अलग स्थानों से गोमती नदी और उसके आसपास के छह स्थानों से भूजल के नमूने इकट्ठे किए गए हैं। जल के पीएच मान, चालकता, नाइट्रेट, फ्लोराइड, घुलित ऑक्सीजन (डीओ), जैविक ऑक्सीजन मांग (बीओडी), फॉस्फेट और कुल कोलीफोर्म बैक्टीरिया को केंद्र में रखकर नमूनों का विश्लेषण किया गया है। 

 

जल-गुणवत्ता सूचकांक नदी के पानी की खराब गुणवत्ता का सूचक है। यह सूचकांक जल के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणधर्मों के आधार पर उसके समुचित उपयोग को दृष्टिगत रखते हुए निर्धारित किया जाता है।

 

अध्ययन से प्राप्त आंकड़े दर्शाते हैं कि लखनऊ में प्रवेश करते ही शहर से निकले नदी में सीधे प्रवाहित होने से गोमती का जल प्रदूषित होने लगता है। शहर के मध्य में इसका जल-गुणवत्ता सूचकांक लगभग 75.9 पाया गया है, जो बेहद खराब माना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे जल का उपयोग पीने के लिए नहीं किया जा सकता। भूजल की गुणवत्ता के लिए भी प्रदूषण की समान प्रवृत्ति देखी गई है।

 

अध्ययन में पाया गया है कि शहर में प्रवेश करने से पूर्व गोमती के जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 11 मिलीग्राम प्रति लीटर थी, जो शहर से बाहर निकलते समय मात्र 1 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई। 

 

गोमती के प्रवेश-स्थल पर जहां जल में कुल कोलीफार्म अर्थात मल-कोलीफार्म जीवाणुओं की सर्वाधिक संभावित संख्या 1700 एमपीएन प्रति 100 मिलीलीटर आंकी गई थी, वहीं गोमती के अंतिम छोर पर बढ़कर यह एक लाख तीस हजार एमपीएन प्रति 100 मिलीलीटर दर्ज की गई है। भूजल में भी नाइट्रेट की मात्रा प्रारंभिक स्थल पर 1.3 पीपीएम थी, जो बढ़कर अंतिम स्थल पर 39.5 पीपीएम आंकी गई। वहीं, भूजल में फ्लोराइड भी 0.431 से बढ़कर 1.460 पीपीएम दर्ज किया गया।

 

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि गोमती के प्रदूषित होने से इस नदी और आसपास के इलाकों के भूजल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। हालांकि, लखनऊ में पीने और अन्य घरेलू उपयोग के लिए प्रयुक्त 415 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) जल की आपूर्ति के लिए 245 एमएलडी जल गोमती नदी से और 170 एमएलडी जल भूजल स्रोतों से प्राप्त किया जा रहा है।

 

-इंडिया साइंस वायर

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