सरकार सितंबर 2020 तक राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी तैयार करेगी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 03, 2019

नयी दिल्ली। सरकार ने देश भर में नागरिकों की पंजी बनाने को लेकर उसका आधार तैयार करने के लिए सितंबर 2020 तक एक राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) पेश करने का निर्णय किया है। एनपीआर बनाने का उद्देश्य देश के हर नागरिक के लिए एक व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। डेटाबेस में जनसांख्यिकी एवं बायोमेट्रिक जानकारी रहेगी। एक अधिकारी ने बताया कि एनपीआर देश में रहने वाले नागरिकों की एक सूची होगी। एनपीआर के पूरा होने और प्रकाशित होने के बाद भारतीय नागरिक राष्ट्रीय पंजी (एनआरआईसी) तैयार करने के लिए इसके एक आधार बनने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि एनआरआईसी असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का अखिल भारतीय प्रारूप होगा। 

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एनपीआर के लिए किसी नागरिक को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जाएगा, जो उस स्थानीय इलाके में पिछले छह महीने से रह रहा हो या जो इलाके में छह महीने या इससे अधिक समय तक रहने का इरादा रखता हो। महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त विवेक जोशी ने कहा, ‘‘नागरिकता (नागरिकों के पंजीयन एवं राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने संबंधी) नियमावली, 2003 के नियम तीन के उप नियम (4) के अनुपालन में केंद्र सरकार ने जनसंख्या पंजी तैयार करने और उसे अद्यतन करने का फैसला किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...और असम को छोड़ कर देश भर में घर - घर जाकर गणना करने के लिए सभी लोगों की सूचना एकत्र करने के वास्ते फील्ड वर्क एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक किया जाएगा।’’

 

एनपीआर देश के नागरिकों की एक पंजी होगी। इसे स्थानीय (ग्राम/कस्बा), अनुमंडल, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाएगा। इसे नागरिकता अधिनियम 1955 और नागरिकता नियमावली, 2003 के तहत तैयार किया जा रहा है। 

भारत के प्रत्येक बाशिंदे को एनपीआर में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। नयी लोकसभा (17वीं) के गठन के बाद 20 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण में नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की प्राथमिकताओं का उल्लेख किये जाने के करीब महीने भर बाद यह कदम उठाया गया है। कोविंद ने कहा था, ‘‘मेरी सरकार ने घुसपैठ प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर राष्ट्रीय पंजी की प्रक्रिया को लागू करने का फैसला किया है।’’

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असम को इसमें शामिल नहीं किये जाने की यह वजह है कि वहां एनआरसी की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि असम में पिछले साल 30 जुलाई को जब एनआसी का मसौदा प्रकाशित किया गया था जब 40.7 लाख लोगों को इससे (पंजी से) बाहर किये जाने को लेकर एक विवाद पैदा हो गया था। 

 

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