By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 09, 2021
अहमदाबाद। गुजरात के औद्योगिक विवाद अधिनियम में संशोधन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की स्वीकृति मिल गई है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि औद्योगिक विवाद (गुजरात संशोधन) विधेयक, 2020 को राज्य विधानसभा ने पिछले साल 22 सितंबर को पारित किया था। इसे एक जनवरी को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गई। चूंकि औद्योगिक विवाद अधिनियम एक केंद्रीय कानून है, इसलिए राज्यों को उसमें किसी भी तरह का बदलाव करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी जरूरी है।
राज्य के श्रम एवं रोजगार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विपुल मित्रा ने बताया कि संशोधन का उद्देश्य कारोबार को और अधिक सुगम बनाना है। औद्योगिक विवाद अधिनियम,1947 के मुताबिक 100 या इससे अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को छंटनी, प्रतिष्ठान बंद करने से पहले राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता होती थी, जबकि संशोधन के जरिए श्रमिकों की यह संख्या बढ़ा कर 300 कर दी गई है।
राज्य सरकार की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसी तरह छंटनी के मामलों में अबतक श्रमिकों को उनके प्रत्येक साल की सेवा के लिए 15 दिनों का वेतन मुआवजे के तौर पर देने की जरूरत होती थी। हालांकि, अब श्रमिक मुआवजे के तौर पर अंतिम तीन महीनों के औसत वेतन के बराबर की राशि भी प्राप्त करेंगे। पहले छंटनी के लिए श्रमिकों को तीन महीने की नोटिस या नोटिस अवधि के लिए पारिश्रमिक देने की जरूरत होती थी , जबकि संशोधन के मुताबिक अब श्रमिकों को तीन महीने का नोटिस भर देकर प्रतिष्ठान से निकाला जा सकता है।