Guru Har Rai Birth Anniversary: महज 14 साल में बने थे सिखों के 7वें गुरु, गुरु हर राय, जानिए क्यों बचाई थी मुगल राजकुमार की जान

By अनन्या मिश्रा | Jan 16, 2025

आज ही के दिन यानी की 16 जनवरी को सिख धर्म के 7वें गुरु, गुरु हर राय का जन्म हुआ था। वह महज 14 साल की उम्र में सिख गुरु बन गए थे। उन्होंने करीब 17 सालों तक सिखों का मार्गदर्शन किया था। उनके समकालीन मुगल बादशाह औरंगजेब था। एक बार अपने तर्क से गुरु हर राय ने मुगल शासक औरंगजेब की बोलती बंद कर दी थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर गुरु हर राय के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

पंजाब के किरतपुर साहिब में 16 जनवरी 1630 को हर राय का जन्म हुआ था। वह सिख धर्म के 10 गुरुओं में से 7वें गुरु थे। उनके दादा और छठे सिख गुरु हरगोबिंद के निधन के बाद 03 मार्च 1644 को वह 14 साल की उम्र में सिख गुरु बने थे। इनका जन्म एक सोढ़ी परिवार में निहाल कौर और बाबा गुरदित्त के घर हुआ था। जब वह 8 साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। जब हर राय 10 साल के थे, तो उनका विवाह दया राम की बेटी माता किशन कौर से हुआ था।

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पहनते थे अनोखी पोषाक 

गुरु हर राय अपने अनोखी पोषाक के लिए भी जाने जाते थे। वह हमेशा 101 चुन्नटों वाला चोगा पहनते थे और गले में मोतियों की माला होती थी। उनके कंधे पर 7 रत्नों का एक बाजूबंद भी था। वह हमेशा रात के आखिरी बचे हुए प्रहर से पहले उठ जाते थे और उन्होंने सिखों को परमात्मा को याद करने की शिक्षा दी जाती थी।


दारा शिकोह की मदद की

बताया जाता है कि गुरु हर राय ने मुगल शासक औरंगजेब के भाई दारा शिकोह का इलाज किया था। दारा शिकोह को जहर दिया गया था, तब दारा की जान बचाने के लिए एक दुर्लभ दवा की जरूरत थी। लेकिन वह आसानी से उपलब्ध नहीं थी। शाही हकीम को सूचना दी गई, तब जाकर वह दवा उपलब्ध हुई। गुरु हर राय ने उनको इलाज के लिए वह दुर्लभ दवा दी और साथ में एक मोती दिया। गुरु हर राय ने दारा शिकोह की कई तरह से सहायता की थी। लेकिन औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को कैद कर उसकी हत्या कर दी। साल 1660 में औरंगजेब ने दारा शिकोह के साथ संबंध सुलझाने के लिए गुरु हर राय को भी आमंत्रित किया था।


क्यों की दारा शिकोह की मदद

जब सिख गुरु हर राय से पूछा गया कि वह मुगल राजकुमार दारा शिकोह की सहायता क्यों कर रहे थे। जबकि मुगलों ने उनके पूर्वजों और सिख गुरुओं पर अत्याचार किया था। तब उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति एक हाथ से फूल तोड़ता है और दूसरे हाथ से देता है, तो दोनों हाथों से एक ही सुगंध आती है।


सिख गुरु हर राय सिखों की सैन्य भावना को भी प्रोत्साहित करते थे। हालांकि वह कभी मुगल साम्राज्य के साथ किसी भी राजनीतिक संघर्ष में शामिल नहीं हुए थे। लेकिन गुरु हर राय की शख्सियत का अपना प्रभाव था।


धार्मिक और सामाजिक कार्य

सिख गुरु, गुरु हर राय ने पंजाब के मालवा और दोआबा क्षेत्रों में लंबी यात्राएं की थीं। इस दौरान उन्होंने मुफ्त रसोई, धार्मिक सभाओं और धर्म ग्रंथ में विश्वास पर ध्यान केंद्रित किया था। 06 अक्तूबर 1661 को गुरु हर राय का निधन हो गया था। अपने निधन से पहले उन्होंने बसे छोटे बेटे हर कृष्ण को सिखों के आठवें गुरु के रूप में नियुक्त किया था।

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