Swami Vivekananda Birth Anniversary: स्वामी विवेकानंद ने ईश्वर और ज्ञान की खोज में समर्पित कर दिया था अपना पूरा जीवन

भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को हुआ था। बता दें कि सांसारिक मोह माया को छोड़कर ईश्वर और ज्ञान की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
आज ही के दिन यानी की 12 जनवरी को भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि उनका पूरा जीवन प्रेरणा का अद्भुत स्त्रोत है। स्वामी विवेकानंद ने सांसारिक मोह माया को छोड़कर ईश्वर और ज्ञान की खोज में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। बता दें कि स्वामी विवेकानंद को गुरु रामकृष्ण परमहंस के मार्गदर्शन में आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
कोलकाता में 12 मई को 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ था। स्वामी विवेकानंद की मां धार्मिक स्वभाव की महिला थीं और उनकी पूजा-पाठ में गहरी रुचि थी। जिसकी वजह से नरेंद्र नाथ बचपन से ही अपनी मां के धार्मिक आचरण और नैतिकता से प्रभावित थे। यही वजह थी कि उन्होंने सिर्फ 25 साल की उम्र में सांसारिक मोह माया को त्याग दिया था और संन्यासी मार्ग अपना लिया था। स्वामी विवेकानंद का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
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जान बचाने वाले फकीर की कहानी
साल 1890 में स्वामी विवेकानंद हिमालय यात्रा कर रहे थे। उस दौरान उनके साथ स्वामी अखंडानंद भी थे। एक दिन काकड़ीघाट में पीपल के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न अवस्था में बैठे हुए थे, इसी दौरान उनको आत्मज्ञान की अनुभूति हुई। इस यात्रा को जारी रखते हुए स्वामी विवेकानंद जब अल्मोड़ा से करबला कब्रिस्तान के पास पहुंचे, तो भूख और थकान की वजह से वह अचेत होकर जमीन पर गिर पड़े। तब उनको एक फकीर ने खीरा खिलाया। जिससे वह होश में आए। स्वामी विवेकानंद के जीवन की यह घटना उनके लिए महत्वपूर्ण और प्रेरक कहानी बन गई।
ऐतिहासिक भाषण
11 दिसंबर 1893 को अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में स्वामी विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। यह क्षण भारत के लिए गर्व और ऐतिहासिक का पल था। अपने भाषण की शुरूआत स्वामी विवेकानंद ने 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' कहकर की थी। उनके इस शब्द ने पूरे सभागार को भावनाओं से भर दिया था। स्वामी विवेकानंद के संबोधन से सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। जोकि पूरे दो मिनट तक जारी रही।
मृत्यु
बता दें कि स्वामी विवेकानंद की मृत्यु 04 जुलाई 1902 को ध्यान करते हुए हुई थी। स्वामी विवेकानंद के शिष्यों का मानना है कि उन्होंने महासमाधि में प्रवेश कर लिया था। लेकिन उनकी मृत्यु का संभावित कारण मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के फटने को बताया गया था। बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद को अनुमान था कि वह 40 साल तक जीवित नहीं रहेंगे।
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