जब 7 साल का रिश्ता खत्म कर, शबाना ने थाम लिया था जावेद अख्तर का हाथ

By रेनू तिवारी | Sep 18, 2018

शबाना आजमी बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्रियों में से एक हैं। फिल्म इंडस्ट्री में शबाना आज़मी ने अपनी एक्टिंग के बल पर ये मुकाम हासिल किया हैं। शबाना आज़मी ऐसी अदाकाराओं में से एक हैं जिन्होंने हिंदी सिनेमाजगत पर करीब 4 दशक तक राज किया। शबाना आज़मी ने अपने फिल्मी करियर मे कई जबरदस्त फिल्में दी हैं इसलिए आज भी उनका नाम बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस की लिस्ट में शुमार है। शबाना आज़मी की आज भी फिल्मे आती हैं वो अब सबजेक्टिव फिल्में करती हैं। शबाना  ने अपने फिल्मी करियर में बहुत से ऐसे किरदार निभाएं हैं और उनको पर्दे पर जीवंत कर दिया। शबाना ने कई लव स्टोरी फिल्में की और कुछ में मां का किरदार निभाया। फिल्म अनोखा बंधन में शबाना में भाभी मां के किरदार को बखूबी हैं। शबाना आजमी हिंदी सिनेमा की ऐसी मंझी हुई अदाकारा हैं जो खुद को हर अभिनय के अनुरूप उसी साँचे ढल जातीं हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में तरह तरह के रोल अदा किये हैं। वह आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं। 

शबाना आजमी का जन्म 18 सितम्बर 1950 को हैदराबाद में हुआ लेकिन अब ये जगह हैदराबाद नहीं तेलंगाना राज्य के अंदर आती हैं। शबाना आजमी का के पिता अक मशहूर शायर थे उनका नाम कैफी आजमी था। कैफी जी की शायरी की मिसालें आज भी दुनिया देती हैं। शबाना आजमी की मां शौकत आजमी एक बेहतरीन थिएटर आर्टिस्ट्स थीं। शबाना आजमी और फिल्ममेकर शेखर कपूर प्यार में थे और इनका ये रिश्ता लगभग सात साल चला लेकिन बाज में ये दोनों अलग हो गये। और इस रिश्ते के खत्म होने के बाद शबाना आजमी ने इसके बाद मशहूर गीतकार और राइटर जावेद अख्तर के साथ 9 दिसंबर 1984 को निकाह पढ़ लिया।

1974 में शबाना आजमी ने अपने फिल्मी करियार की शुरूआत श्याम बेनेगल की फिल्म 'अंकुर' से की थी। इस फिल्म की कहानी एक सच्ची लव स्टोरी पर आधारित थी। इस प्यार की शुरूआत हैदराबाद में हुई थी। इस फिल्म में शबाना आजमी ने शादीशुदा नौकरानी का किरदार निभाया था जिसे कॉलेज के एक लड़के से प्यार हो जाता है। कहा जाता है कि इस फिल्म के लिए शबाना डायरेक्टर की पहली पसंद नहीं थी लेकिन उस वक्त की सभी हीरोइनों ने इस रोल को करने के लिए मना कर दिया था जिसके बाद यह किरदार शबाना आजमी ने निभाया।

फिल्म अकुंर के बाद हिट होने के बाद शबाना आजमी की किस्मत खुल गई और फिल्म शुरू हुआ शबाना का अच्छा समय सन् 1983 से 1985 तक लगातार तीन सालों तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। फिल्म अर्थ, खंडहर और पार जैसी फिल्मों के लिए उनके अभिनय को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।

प्रसिद्ध फ़िल्में 

अंकुर, अमर अकबर अन्थोनी , निशांत, शतरंज के खिलाडी, खेल खिलाडी का, हिरा और पत्थर, परवरिश, किसा कुर्सी का, कर्म, आधा दिन आधी रात, स्वामी ,देवता ,जालिम ,अतिथि ,स्वर्ग-नरक, थोड़ी बेवफाई स्पर्श अमरदीप ,बगुला-भगत, अर्थ, एक ही भूल हम पांच, अपने पराये ,मासूम,लोग क्या कहेंगे, दूसरी दुल्हन गंगवा,कल्पवृक्ष, पार, कामयाब ,द ब्यूटीफुल नाइट, मैं आजाद हूँ, इतिहास,मटरू की बिजली का मंडोला।

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