क्या भारतीय अधिकारियों ने तालिबानी नेताओं से की है गुपचुप मुलाकात?

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 23, 2021

भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जून के महीने में दो बार दोहा का दौरा किया है। जिसके बाद अब एक नई जानकारी सामने आ रही है। दरअसल एस।जयशंकर के दोहा दौरे को लेकर कतर के शीर्ष अधिकारी ने जानकारी दी है कि उन्होंने तालिबानी नेताओं से बातचीत के लिए ये गुपचुप दौरा किया है। 

 

आतंकनिरोधी और संघर्ष समाधान में मध्यस्थता की भूमिका निभाने वाले विशेष दूत ने मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने इस बात की पुष्टि की है कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबानी नेताओं से बातचीत के लिए खामोशी से दौरा किया है। आपको बता दें कि ये पहली बार है जब भारत और तालिबान की बातचीत में शामिल किसी विशेष दूत ने इस गोपनीय खबर के बारे में बताया है। 


विशेष दूत कहतानी ने किया खुलासा

 

मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने कहा कि हर देश ये मान रहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटते ही तालिबान का वर्चस्व होगा लेकिन अफगानिस्तान के भविष्य में उसकी अहम भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारतीय विदेश मंत्री के दोहा दौरे के बाद ये बयान सामने आया है।दोहा दौरे के दौरान एस.जयशंकर ने कतर के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अफगान वार्ता पर अमेरिका के विदेश दूत जाल्माय खालिजाद से मुलाकात की थी।

 

एक भारतीय पत्रकार से बातचीत के दौरान कहतानी ने कहा कि मैं अफगानिस्तान में सभी पक्षों तक पहुंचने और उनसे सीधी बात करने की वजह को समझता हूं। हमें ये बात ध्यान में रखनी होगी कि हम एक बहुत ही अहम चरण में हैं और अगर कोई भी मुलाकात होती है तो उसका एक ही मकसद होना चाहिए वो यह कि सभी पक्षों को अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए प्रेरित करें।  


स्थिर अफगानिस्तान सबके हक में है- मुतलाक कहतानी

 

उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि इस मुद्दे के समाधान के लिए सुनहरा मौका है। अब कोई भी इस मुल्क को बलपूर्वक अपने नियंत्रण में करना चाहेगा तो उसे मान्यता नहीं मिलेगी। स्थिर अफगानिस्तान सबके हक में है। जब कहतानी से पूछा गया कि क्या अफगान शांति वार्ता की प्रक्रिया के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच भी बातचीत की चर्चा हो रही है? इस पर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश को प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। 

 

मुतलाक कहतानी ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिरता भारत और पाकिस्तान दोनों के हक में है। पाकिस्तान अफगानिस्तान का पड़ोसी देश है और भारत अफगानिस्तान को आर्थिक मदद पहुंचाता रहा है। हमारा मानना है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों ही अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता चाहते हैं। 


भारत की तरफ से नहीं हुई आधिकारिक पुष्टि

 

भारत तालिबान से वार्ता में आधिकारिक तौर शामिल नहीं रहा है। हालांकि दोहा में आयोजित शांति वार्ता समेत कई बैठकों में भारतीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया है। वहीं तालिबान के साथ बातचीत को लेकर भारत की तरफ से भी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। साथ ही मुतलाक कहतानी के बयान के बाद भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 

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