हेल्थ इंश्योरेंस: टीपीए की मनमानी और क्लेम रिजेक्शन के खिलाफ ऐसे कीजिए कंपनी से शिकायत

By कमलेश पांडे | Oct 22, 2025

स्वास्थ्य बीमा एक आपातकालीन, आवश्यक व अनिवार्य सेवा है। यदि नहीं है तो विधि निर्माताओं को अविलंब इसे बनाना चाहिए। क्योंकि लोग इसे इसलिए करवाते हैं और नियमित प्रीमियम का भुगतान करते हैं, ताकि आपात स्थिति में रुपए-पैसे की कमी के बावजूद उनका इलाज संभव हो सके और मित्रों पर, सहयोगियों पर अनावश्यक दबाव न पड़े। लेकिन जब इसकी जरूरत पड़ती है तो कम्पनी के लाभप्रद दांवपेंच शुरू हो जाते हैं और मानवीयता, पेशेवर दक्ष व्यवहार नदारत दिखाई देते हैं।


लिहाजा, यह राष्ट्रीय चिंता का विषय होना चाहिए और सरकार को इसपर सख्त नियम-कानून बनाना चाहिए। इसे कम्पनी के लाभ इसे इतर जनसेवा की भावना से चलाया जाना चाहिए। इसके भुगतान सम्बन्धी नियमन पर स्पष्ट कानून व दिशानिर्देश होना चाहिए और किसी भी प्रकार की लापरवाही या टालमटोल के खिलाफ सम्बन्धित कम्पनी के ऊपर 10 गुणा ज्यादा पेनाल्टी का प्रावधान किया जाना चाहिए।

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मानव जीवन और अध्यवसाय के क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुशासन आदि कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनका निजीकरण नहीं होना चाहिए और यदि किया भी गया तो व्यक्तिगत लाभ की बजाए सामूहिक लाभ पर जोर देने और सरकारी क्षतिपूर्ति देने का स्पष्ट प्रावधान बनाया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार की प्रवृति हतोत्साहित होगी। आमतौर देखा जाता है कि बीमाधारक व उनके परिजनों को आपात स्थिति में भी परेशान किया जाता है।


लिहाजा, यदि आपके हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) द्वारा मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया है, तो आप बीमा कंपनी के शिकायत निवारण विभाग में अपील कर सकते हैं। खास बात यह कि यदि वहां पर अप्पको समाधान नहीं मिलता है, तो आप आईआरडीएआई के साथ शिकायत दर्ज करें, या फिर बीमा लोकपाल से संपर्क करें। अंत में, आप उपभोक्ता अदालत में भी जा सकते हैं। 


उल्लेखनीय है कि इस सम्बन्ध में आपकी शिकायत को दर्ज करने के लिए भी स्पष्ट चरण भी तय कर दिए गए  हैं, जिसके मद्देनजर आप सर्वप्रथम बीमा कंपनी से संपर्क करें। आप अपनी बीमा कंपनी के आंतरिक शिकायत निवारण विभाग से संपर्क करें और उन्हें एक औपचारिक अपील पत्र लिखें, जिसमें सभी आवश्यक जानकारी और तथ्यों का उल्लेख हो। 


वहां से निराश होने पर आप आईआरडी एआई से शिकायत करें। कहने का तातपर्य यह कि यदि कंपनी आपकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करती है, तो आप भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण से संपर्क करें। आप आईआरडी एआई की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं या उनके टोल-फ्री नंबर 155255 या 1800 425 4732 पर कॉल कर सकते हैं, या complaints@irdai.gov.in पर ईमेल भेज सकते हैं। 


इसके अलावा, आप बीमा लोकपाल से भी संपर्क करें। यदि आईआरडी एआई के हस्तक्षेप के बाद भी आपकी समस्या का समाधान नहीं होता है, तो आप अपने क्षेत्र के बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं। यह एक मुफ्त सेवा है जो बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक के बीच मध्यस्थता करती है। साथ ही आप इन जगहों से नाउम्मीदी मिलने पर उपभोक्ता अदालत में जा सकते हैं। यदि आप बीमा लोकपाल के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप उपभोक्ता अदालत में भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 


हालांकि, यहां पर कुछ ध्यान देने योग्य बातों पर भी आपको गौर करना होगा। वह यह कि टीपीए का भी कुछ अधिकार: है। इसलिए यह याद रखें कि टीपीए क्लेम को खारिज करने का निर्णय नहीं ले सकता है। वे केवल क्लेम की प्रोसेसिंग में सहायता करते हैं। अंतिम निर्णय बीमा कंपनी का होता है। वहीं, आपके पास अपील का अधिकार है। यानी क्लेम रिजेक्शन के खिलाफ अपील करने का आपका अधिकार है। वहीं, इस बारे में आवश्यक दस्तावेज़ दुरुस्त रखें। शिकायत करते समय पॉलिसी नंबर, क्लेम नंबर और क्लेम रिजेक्शन लेटर की कॉपी जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें। इससे आपको काफी सहूलियत मिलेगी।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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