How Heat Affects The Brain । शरीर और सेहत के साथ दिमाग को भी प्रभावित करती है गर्मी, इंसान को बना देती है आक्रामक

By एकता | Jun 24, 2024

गर्मी का मौसम सिर्फ शरीर को ही नहीं बल्कि हमारे दिमाग को भी कई तरीके से प्रभावित करता है। गर्म दिनों में हमारा दिमाग अन्य मौसम की तुलना में अधिक आक्रामक महसूस करता है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि हाल ही में सामने आए एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। शोध के अनुसार, गर्मियों के दिनों में हत्याएं, हमले और घरेलू हिंसा के मामले बढ़ जाते हैं।


दुनिया के हर कोने में गर्मी एक बार फिर अपना कहर बरसा रही है। भारत के कम गर्म वाले इलाकों में भी आग बरस रही है, सऊदी अरब के मक्का और मदीना में गर्मी की वजह से सड़कों पर लाशें बिखरी नजर आ रही हैं। गर्मी की वजह से बरस रहे इस कहर ने लोगों को इसके प्रभाव पर गौर करने पर मजबूर कर दिया है। गर्म मौसम में अगर सही से ध्यान नहीं रखा जाए तो शरीर और सेहत दोनों ख़राब हो जाती है। गर्मियों में दिल के दौरे, हीट स्ट्रोक और मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। शरीर और सेहत के साथ भीषण गर्मी दिमाग पर भी बहुत बुरा प्रभाव डालती है। ये हमें चिड़चिड़ा और आक्रामक बनाती है।


गर्मी हमें आक्रामक क्यों बनाती है?

शोधकर्ताओं ने सबसे पहले अपराध डेटा को देखकर गर्मी और आक्रामकता के बीच संबंध की खोज की, जिसमें पाया गया कि गर्म दिनों में हत्याएं, हमले और घरेलू हिंसा के मामले अधिक होते हैं। यह संबंध अहिंसक कृत्यों पर भी लागू होता है। जब तापमान बढ़ता है, तो लोगों के ऑनलाइन अभद्र भाषा बोलने और ट्रैफ़िक में अपने हॉर्न बजाने की संभावना बढ़ जाती है।


2019 के एक प्रयोग किया गया, जिसमें कुछ लोगों को गर्म और कुछ लोगों को ठंडे कमरे में बैठकर वीडियो गेम खेलने के लिए बोला गया। इस प्रयोग में पता चला कि जो लोग गर्म कमरे में बैठकर वीडियो गेम रहे थे वह ठंडे कमरे वाले लोगों की तुलना में अधिक आक्रामक थे। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की सहायक प्रोफेसर किम्बर्ली मीडेनबॉयर का मानना ​​है कि बिना सोचे-समझे कार्य करने की आपकी प्रवृत्ति, या खुद को एक निश्चित तरीके से कार्य करने से रोक न पाना, ये चीजें भी गर्मी से प्रभावित होती हैं।


बोस्टन के छात्रों पर शोध में क्या पता चला?

जुलाई 2016 में, बोस्टन में ऐसी गर्मी पड़ी थी कि लगातार पांच दिनों तक दिन का तापमान औसतन 92 डिग्री पर पहुंच गया था। कुछ छात्र जो सेंट्रल एयर कंडीशनिंग वाले छात्रावासों में रह रहे थे वह तो इस भीषण गर्मी के प्रकोप से बच गए। लेकिन जो छात्र बिना एसी वाले पुराने छात्रावासों में फंसे हुए थे उनका हाल बुरा हो गया था। ऐसे में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जोस गुइलेर्मो सेडेनो लॉरेंट ने इस बात का फायदा उठाया और ये जानने की कोशिश की कि भीषण गर्मी कैसे युवाओं के दिमाग पर असर डालती है।


उन्होंने 44 छात्रों को अपने शोध में शामिल किया, जिन्हें उन्होंने तापमान बढ़ने से पांच दिन पहले, पांच दिन के दौरान और इसके दो दिन के बाद तक गणित और आत्म-नियंत्रण परीक्षण करवाए। रटगर्स यूनिवर्सिटी में पर्यावरण और व्यावसायिक स्वास्थ्य और न्याय के सहायक प्रोफेसर सेडेनो ने बताया कि हममें से कई लोग सोचते हैं कि हम गर्मी से प्रतिरक्षित हैं। इसलिए मैं यह जांचना चाहता था कि क्या यह वास्तव में सच है।


इस शोध में पता चला कि युवा और स्वस्थ कॉलेज के छात्र गर्मी के बढ़ते तापमान से प्रभावित होते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि बिना एयर-कंडीशन वाले छात्रावासों में रहने वाले छात्र एसी वाले छात्रों की तुलना में हर सुबह दिए जाने वाले टेस्ट में काफी खराब प्रदर्शन करते थे। बता दें, बिना एयर-कंडीशन वाले छात्रावासों में रहने वाले छात्रों के कमरे का तापमान रात को औसतन 79 डिग्री होता था।

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