हेमंत बिस्वा सरमा ने आम स्कूलों में बदलने का दिया था ऑर्डर, अब मदरसों का कायाकल्प करेंगे योगी

By अभिनय आकाश | Apr 28, 2022

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र पर काम करते हुए मदरसों के आधुनिकरण पर फोकस किया है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोड़ा तुष्टीकरण की सियासत बन गया है। मदरसा आधुनिकरण योजना के तहत लाभ उठाने वाले सात हजार से ज्यादा मदरसों में कई केवल कागजों पर चल रहे हैं। फर्जी मदरसा और मौलाना खड़ा कर सरकारी योजना के पैसों की लूट मची हुई है। अब जब योगी सरकार ने इसकी जांच के लिए कमेटी बना दी है तो इसे मुस्लिमों को टारगेट करना बताया जा रहा है। ऐसे में आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला और इस पर किसे क्या आपत्ति है?

कागजी मदरसों पर योगी का बुलडोजर 

योगी सरकार के रडार पर अब यूपी के वो फर्जी मदरसे हैं जहां शिक्षा के आधुनिकीकरण के नाम पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार ने सालों से फर्जीवाड़े के जरिये पैसों की लूट मचा रहे मदरसों की जांच कराने का आदेश दिया। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सूबे के 7 हजार 442 मदरसों की जांच कराने का आदेश दिया है। पिछले कुछ समय से कई जिलों में कागजों पर चल रहे फर्जी मदरसों की शिकायतें मिलने के बाद यूपी सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करने का फैसला लिया था ताकि उन्हें शिक्षण के ऑनलाइन मोड में कुशल बनाया जा सके।

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मदरसा आधुनिकरण योजना 

केंद्र सरकार की तरफ से देश के कई मदरसों के लिए एक खास योजना चलाई जाती है। जिसका नाम मदरसा आधुनिकरण योजना है। जिसके तहत मुस्लिम बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने पर जोर दिया जाता है। इसके तहत आने वाले मदरसों में 3 अतिरिक्त शिक्षक नियुक्त किए जाते हैं। सरकार ग्रेजुएट शिक्षकों को 6 हजार और मास्टर्स पास शिक्षकों को 12 हजार हर महीने वेतन देती है। वहीं यूपी सरकार भी इन्हें अलग से मानदेय देती है। इन तमाम मदरसों में तकरीबन 21126 शिक्षक पढ़ाते हैं। लेकिन योगी सरकार के पास ऐसे कई मदरसों के सिर्फ कागजों पर चलने की शिकायत आई तो आधुनिकीकरण योजना का लाभ उठा रहे ऐसे 7442 मदरसों के जांच के आदेश दे दिए। इनकी जांच कर अफसरों को 15 मई तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। 

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असम की हेमंता सरकार ने मदरसों को स्कूली में बदला

राज्य सरकार ने विधानसभा में असम रिपीलिंग एक्ट-2020 पास करते हुए इस कानून के आधार पर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को विद्यालयों में बदलने का निर्णय लिया था। इस ऐक्ट के तहत मदरसा शिक्षा (प्रांतीयकरण) अधिनियम- 1995 और असम मदरसा शिक्षा (कर्मचारियों की सेवाओं का प्रांतीयकरण और मदरसा शैक्षिक संस्थानों का पुनर्गठन) अधिनियम- 2018 को खत्म कर दिया गया था। 2021 में 13 व्यक्तियों की ओर से दायर याचिका के माध्यम से राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदला जाना है। कोर्ट ने पिछले साल 13 लोगों के जरिये दाखिल असम रिपीलिंग एक्ट-2020 को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि पूरी तरह सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसे मजहबी तालिम नहीं दे सकते। ये संविधान के अनुच्छेद 28-1 के खिलाफ है। मदरसों के टीचरों की नौकरी नहीं जाएगी। अगर जरूरी हुआ तो उन्हें दूसरे विषय पढ़ाने के लिए ट्रेंड किया जाएगा।  

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