By रेनू तिवारी | Jul 04, 2025
हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश के कारण अब तक 63 लोगों की मौत हो गई है और 40 लापता हैं, जबकि 400 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है।लाइवमिंट वेब साइट के अनुसारा ये आंकड़े जारी किए गये हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 7 जुलाई तक बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिसमें पहाड़ी राज्य में लगातार भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। मंडी जिले का थुनाग उप-मंडल अब तक सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां सड़कें अवरुद्ध हैं और बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राजस्व विभाग के विशेष सचिव डीसी राणा ने कहा, "हमने अब तक 400 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया है। लेकिन वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक होने की संभावना है। फिलहाल हमारा मुख्य ध्यान खोज, बचाव और बहाली पर है।" हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा "राज्य में बादल फटने और बारिश से जुड़ी अन्य आपदाओं के कारण 63 लोग मारे गए, 40 लापता हैं।" आपदाओं में 150 से अधिक घर, 106 मवेशी शेड, 31 वाहन, 14 पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) ने कहा कि कुल 164 मवेशी मारे गए, जबकि 402 लोगों को बचाया गया, जिनमें से 348 मंडी में थे, और पांच राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
अकेले मंडी में, 40 लोग लापता बताए जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि गुरुवार को मंडी में बादल फटने और अचानक बाढ़ से संबंधित घटनाओं में मरने वालों की संख्या 14 हो गई है। अधिकारियों ने कहा कि राहत शिविर स्थापित किए गए हैं और भारतीय वायु सेना द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में भोजन के पैकेट गिराए गए हैं।
आईएमडी ने 5 जुलाई को शिमला, सोलन और सिरमौर के लिए और 6 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जो भारी बारिश और संभावित बाढ़ के उच्च जोखिम का संकेत देता है। राज्य के अन्य भागों में भी येलो अलर्ट जारी है। विभाग ने अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे बाढ़, भूस्खलन और सड़क जाम होने का खतरा बढ़ गया है, खासकर पहले से ही बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में।
मंडी जिला आपदा का दंश झेल रहा है, जहां बाढ़ और भूस्खलन से घर और बुनियादी ढांचे नष्ट हो गए हैं। यहां 11 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 34 लोग अभी भी लापता हैं। सड़कें अवरुद्ध हैं और बिजली और पानी की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं बुरी तरह बाधित हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन और पुलिस की राहत टीमें खोज और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं, जिन्हें कटे हुए गांवों में भोजन और आपूर्ति हवाई मार्ग से गिराने में सहायता मिल रही है।
राज्य भर में, लगभग 250 सड़कें बंद हैं, 500 से अधिक बिजली वितरण ट्रांसफार्मर काम नहीं कर रहे हैं और लगभग 700 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। राजधानी शिमला में स्कूलों में पानी भर गया है, जिससे कक्षाएं रद्द करनी पड़ी हैं और छात्रों तथा अभिभावकों में परेशानी पैदा हो गई है। शिमला में चार लेन वाली सड़क के एक हिस्से के ढहने तथा मंडी में एक घर के नष्ट हो जाने से नुकसान की बढ़ती सूची में इजाफा हुआ है।
अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश पर मानसून के प्रभाव को बढ़ाने में जलवायु पैटर्न में बदलाव तथा ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका पर प्रकाश डाला है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेष सचिव डीसी राणा ने भविष्य की आपदाओं के लिए तैयारियों को बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा, "ये चरम मौसम की घटनाएं ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष परिणाम हैं।"