जागरुकता और कानून सख्ती से ही रुकेंगी ऑनर किलिंग

By योगेंद्र योगी | Oct 30, 2025

गुरुग्राम में पिता दीपक यादव ने परिवार की इज्जत बचाने के लिए अपनी बेटी पूर्व टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली मार कर हत्या की थी। पिता और बेटी के बीच लंबे समय से तनाव और विवाद चल रहा था। चार्जशीट में आरोपी पिता दीपक ने बताया कि उसके गांव के लोग उसे टोकते थे कि तुम बेटी की कमाई खा रहे हो। बेटी के चरित्र पर भी उंगली उठाते थे। इससे उनके सम्मान को ठेस पहुंचती थी। इसलिए बेटी की हत्या कर दी। अभी तक यही माना जाता रहा है कि ऑनर किलिंग के ज्यादातर मामले गरीब और पिछड़ेपन के कारण ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में ही होते हैं, किन्तु गुरुग्राम में हुई इस घटना ने साबित कर दिया कि कुछ हद तक यह मानसिकता शिक्षित लोगों के बीच शहरों में भी व्याप्त है। देश एक तरफ जहां अर्थव्यवस्था सहित दूसरे क्षेत्रों में छलांग लगा रहा है, वहीं आदिमयुगीन इस तरह की वारदात से भारत की छवि कलंकित हो रही है। 


दिल्ली की पत्रकार निरुपमा पाठक की मौत के साथ ऑनर किलिंग का मुद्दा सुर्खियों में आया था। आरोप था कि परिवार ने उसे इसलिए मार डाला क्योंकि वह गर्भवती थीं और अपनी जाति के बाहर के व्यक्ति से शादी करने की योजना बना रही थीं। इसके बाद राजधानी में संदिग्ध ऑनर किलिंग के दो और मामले सामने आए। हालांकि राजधानी में ऑनर किलिंग की घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन भारत के उत्तरी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं आम हैं। ऑनर किलिंग के पीछे मूल कारण यह विचार है कि परिवार का सम्मान महिला की पवित्रता से जुड़ा होता है। ऑनर किलिंग के कई कारण हो सकते हैं, जैसे वैवाहिक बेवफाई, विवाह से पहले यौन संबंध, अनुचित संबंध, तय शादी से इनकार करना या यहां तक कि बलात्कार भी। भारत में ऑनर किलिंग तब होती है जब कोई जोड़ा अपनी जाति या धर्म के बाहर शादी करता है ।

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करनाल की एक सत्र अदालत ने एक खाप पंचायत के आदेश के विरुद्ध विवाह करने वाले एक युवा जोड़े की हत्या के लिए पाँच लोगों को पहली बार मृत्युदंड सुनाया। अदालत ने खाप पंचायत के उस सदस्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जिसने विवाह को अमान्य घोषित कर दिया था और जो हत्या के समय मौजूद था। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और आठ राज्यों को नोटिस जारी कर ऑनर किलिंग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की व्याख्या करने को कहा था। सरकार ने सतर्क रुख अपनाते हुए तत्कालीन कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली के भारतीय दंड संहिता में संशोधन और खाप पंचायतों (जाति-आधारित संविधानेतर संस्थाएँ) पर लगाम लगाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। केंद्र सरकार ने राज्यों से परामर्श करने और ऑनर किलिंग को एक सामाजिक बुराई मानने वाले एक विशेष कानून को लागू करने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए एक मंत्रिसमूह गठित करने का निर्णय लिया था। 


तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में, जहाँ दलित समुदायों का अपेक्षाकृत अधिक सशक्तिकरण हुआ है, अंतर्जातीय विवाहों की दर भी अधिक दर्ज की गई है। भारत मानव विकास सर्वेक्षण द्वितीय के अनुसार, अंतर्जातीय विवाहों की राष्ट्रीय दर लगभग 5% है, लेकिन सशक्त दलित आबादी वाले राज्यों में यह दर अधिक है। विडंबना यह है कि इन्हीं राज्यों में ऑनर किलिंग की घटनाएँ भी बढ़ी हैं। यह विरोधाभास एक परेशान करने वाली सच्चाई को उजागर करता है। ऑनर किलिंग वहाँ नहीं होती जहाँ जातिवाद सबसे ज़्यादा प्रबल होता है, बल्कि वहाँ होती है जहाँ यह सबसे ज़्यादा ख़तरे में है। जिन राज्यों में उत्पीड़ित लोग अभी भी अपनी "यथास्थिति" बनाए हुए हैं, वहाँ हिंसा कम होती है, इसलिए नहीं कि जातिवाद मौजूद नहीं है, बल्कि इसलिए कि इसे चुनौती नहीं दी जाती। 


संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न रिपोर्टों में ऑनर किलिंग को विश्व में एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन बताया गया है, जो कि लैंगिक असमानता और पुरुष प्रधान समाजों में गहराई से निहित है। रिपोर्टों के अनुमान के अनुसार, हर साल दुनिया भर में लगभग 5,000 ऑनर किलिंग होती हैं, जिनमें 20% मामले भारत में होते हैं, हालाँकि सटीक आंकड़े अज्ञात हैं क्योंकि सभी देश आधिकारिक डेटा नहीं रखते हैं। ये रिपोर्टें बताती हैं कि यह सिर्फ़ भारत की ही नहीं, बल्कि मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और यूरोप के देशों सहित अन्य क्षेत्रों की भी एक वैश्विक समस्या है। यह समस्या मुख्य रूप से मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में व्यापक है, लेकिन बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, इक्वाडोर, मिस्र, भारत, ईरान, इराक, इटली, मोरक्को, पाकिस्तान, स्वीडन, सीरिया, तुर्की, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विभिन्न देशों में भी होती है। 


कई देशों में ऑनर किलिंग को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं, लेकिन अक्सर इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता है या ये अपर्याप्त हैं। महिलाओं और लड़कियों के अलावा, एलजीबीटी समुदाय के लोग भी ऑनर किलिंग का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्टों में इस बात पर जोर दिया गया है कि यह समस्या मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और विशेष रूप से भारत में संवैधानिक अधिकारों का हनन करती है। ऑनर किलिंग अन्य प्रकार की लैंगिक-आधारित हिंसा का ही एक रूप है, जैसे कि एसिड अटैक, यातना और अपहरण। भारत में जाति एक दोराहे पर खड़ी है। एक ओर, हम हिंसक प्रतिक्रियाएँ और ऑनलाइन महिमामंडन देख रहे हैं। दूसरी ओर, हम ऑनर किलिंग के खिलाफ मज़बूत लोकतांत्रिक आवाज़ें और सामाजिक मूल्यों से धीरे-धीरे दूर होती एक नई पीढ़ी देख रहे हैं। 


भारत में जाति और लिंगभेद आधारित समस्या नहीं गहरी जड़ें जमाए बैठी सामाजिक परिघटना है। जाति केवल इसलिए नहीं टिकती और फलती-फूलती है क्योंकि व्यक्ति उस पर ज़ोर देते हैं, बल्कि इसलिए भी कि परिवार, समुदाय और समूची सामाजिक संरचनाएँ, जानबूझकर या अनजाने में, उसे लागू और वैध बनाती रहती हैं। जातिगत सीमाओं को पार करने वाले प्रेम संबंध, खासकर वे जो दलित पुरुषों और प्रभुत्वशाली जाति की महिलाओं के बीच होते हैं। ये संबंध केवल प्रेम या विद्रोह का प्रतिनिधित्व नहीं करते, बल्कि सदियों पुरानी जातिगत पदानुक्रमों को सीधी चुनौती देते हैं। ऑनर किलिंग या लिंग आधारित हिंसा देश के राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय नहीं है, बल्कि नेता वोट बैंक की राजनीति के कारण आग में घी डालने का काम करते हैं। ऐसी शर्मनाक घटनाओं को रोकने के लिए राजनीति, शैक्षिक और कानून के जरिए जागरुकता लाने की जरुरत है। 


- योगेन्द्र योगी

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