By एकता | Dec 16, 2025
रिश्तों में, जब एक पार्टनर बहुत ज्यादा चिंतित होता है और दूसरा बचने वाला होता है तो कॉमन ग्राउंड ढूंढना मुश्किल हो सकता है। एंग्जीयस अटैचमेंट वाले व्यक्ति को प्यार का बार-बार भरोसा चाहिए होता है, जबकि अवॉइडेंट व्यक्ति बहुत ज्यादा नजदीकी से परेशान हो जाता है और घबराकर अपने पार्टनर से दूर भागने लगता है। इस आर्टिकल में, हम बात करेंगे कि कैसे एंग्जीयस अटैचमेंट वाला व्यक्ति अपने अवॉइडेंट अटैचमेंट पार्टनर की स्पेस की जरूरत को समझ सकता है। साथ ही हम यह भी बताएंगे कि कैसे एंग्जीयस अटैचमेंट वाला व्यक्ति अपनी भावनाओं को मैनेज करना और असरदार तरीके से बात करना सीखकर, अपने इस रिश्ते को मजबूत और ज्यादा शांतिपूर्ण बन सकता है।
एंग्जीयस अटैचमेंट वाले व्यक्ति के लिए अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल वाले के साथ रिश्ता निभाना आसान नहीं होता, लेकिन समझदारी और सही तरीकों से तालमेल बनाया जा सकता है। सबसे जरूरी है यह समझना कि अवॉइडेंट इंसान दूरी इसलिए नहीं बनाता क्योंकि उसे आपसे मतलब नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि उसे ज्यादा करीबी से घबराहट होती है। जब एंग्जीयस व्यक्ति यह बात समझ लेता है, तो कई गलतफहमियां अपने आप कम होने लगती हैं।
एंग्जीयस अटैचमेंट वाले लोगों को अपनी भावनाओं की जिम्मेदारी खुद लेना सीखनी होती है। हर बार भरोसे के लिए पार्टनर पर निर्भर रहने की बजाय, खुद को शांत करने के तरीके ढूंढना जरूरी है, जैसे अपनी रूटीन, दोस्तों, काम या किसी क्रिएटिव एक्टिविटी में मन लगाना। इससे अवॉइडेंट पार्टनर पर भावनात्मक दबाव कम पड़ता है और रिश्ता हल्का महसूस होता है।
कम्युनिकेशन बहुत अहम है, लेकिन उसका तरीका सही होना चाहिए। बार-बार सवाल पूछने, शक जताने या भावनात्मक दबाव बनाने की बजाय, अपनी बात साफ और शांति से रखना ज्यादा असरदार होता है। उदाहरण के लिए, 'तुम हमेशा दूर रहते हो' कहने की जगह 'जब तुम जवाब नहीं देते, तो मुझे असुरक्षा महसूस होती है' कहना बेहतर रहता है। इससे अवॉइडेंट पार्टनर रक्षात्मक होने के बजाय समझने की कोशिश करता है।
अवॉइडेंट लोगों के लिए स्पेस बहुत जरूरी होती है, इसलिए एंग्जीयस व्यक्ति को उनकी इस जरूरत का सम्मान करना चाहिए। हर दूरी को रिजेक्शन की तरह लेने के बजाय यह समझना जरूरी है कि थोड़ी स्पेस लेने के बाद वे ज्यादा संतुलित होकर लौटते हैं। जब उन्हें बिना दबाव के स्पेस मिलती है, तो वे धीरे-धीरे भरोसा करने लगते हैं।
साथ ही, एंग्जीयस व्यक्ति को अपनी सीमाएं भी तय करनी चाहिए। तालमेल बनाने का मतलब यह नहीं कि आप हर बार खुद को ही पीछे रखें। अगर रिश्ता लगातार दर्द, अनदेखी या असुरक्षा दे रहा है, तो उस पर खुलकर बात करना जरूरी है। स्वस्थ रिश्ता वही होता है जहां दोनों की जरूरतों को जगह मिले।
अंत में, यह समझना जरूरी है कि एंग्जीयस–अवॉइडेंट डायनैमिक में बदलाव धीरे-धीरे आता है। धैर्य, आत्म-जागरूकता और एक-दूसरे को समझने की कोशिश से ही संतुलन बनता है। अगर दोनों लोग अपनी अटैचमेंट स्टाइल को पहचान लें और उस पर काम करने को तैयार हों, तो यह रिश्ता मुश्किल होने के बावजूद सुरक्षित और स्थिर बन सकता है।