आप दूरी बनाकर सुकून पाते हैं या बेचैन हो जाते हैं? जानें कौन सी है आपकी Attachment Style

रिश्तों में खींचतान क्यों? क्योंकि हम दो तरह से जुड़ते हैं, कुछ लोग भावनात्मक क्लोज-अप से डरते हैं और 'स्पेस' ढूंढते हैं, जबकि दूसरे थोड़ी सी दूरी पर भी बेचैन हो जाते हैं, उन्हें लगातार आश्वासन चाहिए। जब ये दो रास्ते टकराते हैं, तो एक को दम घुटता महसूस होता है और दूसरा असुरक्षित महसूस करता है। रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि हम समझें, हमारा 'लव लैंग्वेज' दूरी है या बेताबी।
लोगों की अटैचमेंट स्टाइल यानी रिश्तों में जुड़ने का तरीका आमतौर पर दो तरह का होता है, अवॉइडेंट (जो दूरी बनाए रखना पसंद करते हैं) और एंग्जीयस (जो ज्यादा सोचते और जल्दी चिंता करने लगते हैं)। कुछ लोग इन दोनों का मिश्रण भी होते हैं। ऐसे लोगों का व्यवहार इस बात पर निर्भर करता है कि वे सामने किस व्यक्ति से बात कर रहे हैं या किस तरह के रिश्ते में हैं।
अब सवाल यह है कि आप या आपका पार्टनर किस तरह के हैं? क्योंकि जब एक व्यक्ति ज्यादा जुड़ाव और नजदीकी चाहता है, और दूसरा बार-बार दूरी बनाने की कोशिश करता है, तो ऐसे रिश्ते में तालमेल बैठाना और लंबे समय तक टिके रहना दोनों के लिए मुश्किल हो सकता है।
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अवॉइडेंट पर्सनलिटी (बचने वाली अटैचमेंट स्टाइल वाले लोग)
अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल वाले लोग ज्यादातर अपने काम, रूटीन और अपनी निजी दुनिया में ही सुकून महसूस करते हैं। उन्हें अचानक प्लान बदलना, किसी को ज्यादा समय देना या बहुत करीबी बनाना आसान नहीं लगता। बातचीत में ये लोग हल्की-फुल्की बातें तो कर लेते हैं, लेकिन जब बात भावनाओं या रिश्ते की गहराई की आती है, तो वे खुद को पीछे खींच लेते हैं।
जब सामने वाला ज्यादा ध्यान देता है, बार-बार हालचाल पूछता है या भावनात्मक करीबी बढ़ाने की कोशिश करता है, तो इन्हें घुटन या मानसिक थकान महसूस होने लगती है। ऐसे में इनका व्यवहार चिड़चिड़ा, रूखा या ठंडा लग सकता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में यह घमंड नहीं, बल्कि खुद को भावनात्मक रूप से सुरक्षित रखने का तरीका होता है।
अवॉइडेंट लोगों के लिए अपनी स्पेस और अकेला समय बहुत जरूरी होता है। वे अपनी भावनाओं और जरूरतों को खुलकर कहने में असहज महसूस करते हैं और सब कुछ खुद ही संभालने की कोशिश करते हैं। उन्हें इस बात का डर रहता है कि अगर वे किसी के बहुत करीब आ गए, तो कहीं फिर से चोट न लग जाए या वे भावनात्मक रूप से निर्भर न हो जाएं।
अक्सर ये लोग खुद से बातचीत शुरू नहीं करते। किसी बहस या गलतफहमी के बाद आमने-सामने बैठकर बात सुलझाने की बजाय दूरी बना लेना इन्हें ज्यादा आसान लगता है। मैसेज का देर से जवाब देना, इग्नोर करना या कुछ समय के लिए गायब हो जाना उनका आम पैटर्न बन सकता है।
कई बार ऐसा भी होता है कि एक दिन वे बहुत ज्यादा करीब लगते हैं और अगले ही दिन भावनात्मक रूप से दूर हो जाते हैं। बाहर से यह कन्फ्यूजिंग लगता है, लेकिन उनके लिए भावनात्मक दूरी ही खुद को बचाने का तरीका होती है।
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एंग्जीयस पर्सनलिटी (चिंतित और ज्यादा जुड़ाव चाहने वाली अटैचमेंट स्टाइल)
एंग्जीयस अटैचमेंट स्टाइल वाले लोग रिश्तों में जल्दी और गहराई से जुड़ जाते हैं। उन्हें अपने पार्टनर से लगातार कनेक्शन, भरोसा और यह एहसास चाहिए होता है कि वे जरूरी हैं। अगर सामने वाला थोड़ी देर के लिए भी शांत हो जाए या दूरी बना ले, तो उनका दिमाग़ नकारात्मक सोच से भरने लगता है।
ये लोग छोटी-छोटी बातों को बहुत गहराई से महसूस करते हैं। देर से आया मैसेज, बदला हुआ व्यवहार या कम हुई बातचीत उन्हें बेचैन कर देती है। उन्हें लगने लगता है कि शायद वे इग्नोर किए जा रहे हैं या रिश्ता खतरे में है।
एंग्जीयस लोग अपने पार्टनर को खुश रखने की बहुत कोशिश करते हैं, कई बार अपनी जरूरतों और सीमाओं को पीछे रख देते हैं। उनके मन में यह डर रहता है कि अगर उन्होंने ज्यादा सवाल पूछे या अपनी फीलिंग्स खुलकर बताईं, तो कहीं सामने वाला उनसे दूर न हो जाए।
किसी बहस या अनबन के बाद ये लोग दूरी बनाने की बजाय बात करके सब ठीक करना चाहते हैं। लेकिन जब उन्हें जवाब या साफ स्थिति नहीं मिलती, तो उनकी बेचैनी और बढ़ जाती है। वे बार-बार कॉल या मैसेज कर सकते हैं और सामने वाले के हर मूड को समझने की कोशिश में खुद को मानसिक रूप से थका लेते हैं।
कुल मिलाकर, एंग्जीयस अटैचमेंट वाले लोग बहुत केयरिंग, इमोशनल और रिश्ते को निभाने वाले होते हैं। लेकिन ज्यादा सोचने और छोड़े जाने के डर की वजह से वे कई बार खुद ही मानसिक दबाव में आ जाते हैं, खासकर तब जब सामने वाला अवॉइडेंट अटैचमेंट स्टाइल का हो।
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