होटल से मिला इशारा और बुलडोजर लेकर पहुंच गई अमृता सिंह की मां, कैसे संजय गांधी इमरजेंसी के सबसे बड़े विलेन बनकर उभरे

By अभिनय आकाश | Jun 25, 2025

पचास साल पहले, भारत ने अपने लोकतंत्र के सबसे काले अध्यायों में से एक देखा। 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की। 25 जून 1975 की रात 11 बजकर 45 मिनट पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश पर आपातकाल की घोषणा करने वाले सरकारी पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया और आपातकाल लागू हो गया। भारत में नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया गया और असहमति को दबा दिया गया, जबकि इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे संजय गांधी को असीमित शक्ति प्राप्त थी। आपातकाल में उनकी विवादास्पद भूमिका को मिटाया नहीं जा सकता। इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी के इशारे पर देश में हजारों गिरफ्तारियां हुईं। पत्रकारों को परेशान किया गया। फिल्मों पर जी भर कर सेंसर की कैंची चलाई गई। इन सबके बीच संजय गांधी का पांच सूत्रीय कार्यक्रम भी चल रहा था। इस कार्यक्रम में प्रमुख था-वयस्क शिक्षा, दहेज प्रथा का खात्मा , पेड़ लगाना, परिवार नियोजन  और जाति प्रथा उन्मूलन। लेकिन बाकी तो कहने के लिए थे, इस कार्यक्रम में सबसे ज्यादा जोर परिवार नियोजन पर था। परिवार नियोजन के लिए अस्पतालों में जबरदस्ती लोगों को पकड़कर, नसबंदी कर दी जाती थी।

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दिल्ली के 70 हजार घरों को उजाड़ दिया गया

संजय गांधी को लगा की जामा मस्जिद के पास चीजें और खूबसूरत नजर आनी चाहिए। इस काम में उनका सहयोग किया मशहूर एक्टर सैफ अली खान की पहली सास अमृता सिंह की मां रुखसाना सुल्ताना जो उन दिनों यूथ कांग्रेस में बेहद सक्रिय थी। रुखसाना ने तय कर लिया कि वह अपने गरीब मुसलमान भाइयों बहनों को समझाएंगे कि संजय गांधी की नीतियां चाहे वह नसबंदी सफाई इस्लाम को हटाना उनकी तरक्की के लिए कितनी जरूरी है। उस वक्त का एक किस्सा मशहूर है जब डीडीए के उपाध्यक्ष और संजय गांधी के चहेते जगमोहन संजय गांधी के साथ तुर्कमान गेट के एक होटल में मौजूद थे। तमाम जनप्रतिनिधियों ने बुलडोजर भेजने और बस्तियों को हटाने की कार्रवाई रोकने की दरख्वास्त की। लेकिन फिर भी बुलडोजर चला गोलियां भी चली कहा जाता है कि लोगों को लॉरियों में भरकर पुश्ता कि मेड शिफ्ट कॉलोनी में भेज दिया गया। 

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13 हजार नसबंदियां करवाईं गईं

उस वक्त 31 वर्ष की रुकसाना सुल्ताना को संजय गांधी का राईट हैंड कहा जाता था। सुल्ताना ने दिल्ली में जामा मस्जिद के आसपास संवेदनशील मुस्लिम इलाकों में एक साल में करीब 13 हजार नसबंदियां करवाईं। जगह-जगह पर कैंप लगाए गए। नसबंदी कराने वाले लोगों को 75 रूपए, काम से एक दिन की छुट्टी और एक डब्बा घी दिया जाता था। कहीं-कहीं पर सायकिल भी दी जाती थी। सफाई कर्माचारियों, रिक्शा चलाने वालों और मजदूर वर्ग के लोगों का जबरदस्ती नसबंदी करवाया गया।

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