By अभिनय आकाश | Feb 06, 2025
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। नई नीति के तहत अब राज्य की सभी शराब दुकानों का संचालन ई-लॉटरी के जरिए किया जाएगा। राज्य के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार शाम हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया और गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि राज्य कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए उत्पाद शुल्क नीति को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इस नीति में सबसे बड़ा निर्णय यह है कि इस वर्ष प्रदेश की सभी देसी शराब की दुकानों, कंपोजिट दुकानों, मॉडल शॉप और भांग की दुकानों का प्रबंधन ई-लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि लॉटरी प्रणाली में एक आवेदक को केवल एक बार आवेदन करने का मौका मिलेगा और एक आवेदक को राज्य में दो से अधिक दुकानें आवंटित नहीं की जाएंगी। अग्रवाल ने आगे कहा कि चूंकि लॉटरी प्रणाली लागू की जा रही है, इसलिए प्रोसेसिंग शुल्क को भी पांच श्रेणियों में विभाजित किया गया है। पहली श्रेणी में गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और कानपुर के नगर निगम क्षेत्र और उनका तीन किलोमीटर का दायरा शामिल होगा।
उन्होंने बताया कि देशी शराब की दुकानों के लिए प्रोसेसिंग फीस 65,000 रुपये, कंपोजिट दुकानों के लिए 90,000 रुपये, मॉडल शॉप के लिए 1 लाख रुपये और भांग की दुकानों के लिए 25,000 रुपये तय की गई है। उन्होंने बताया कि दूसरी श्रेणी में पहली श्रेणी में शामिल महानगरों को छोड़कर तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाली शराब की दुकानों (देसी शराब, कंपोजिट दुकानें, मॉडल शॉप और भांग की दुकानें) के लिए प्रोसेसिंग फीस 60,000 रुपये, 85,000 रुपये, 90,000 रुपये और 25,000 रुपये तय की गई है। राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री के मुताबिक तीसरी श्रेणी में सभी नगर निगम क्षेत्र और उनका तीन किलोमीटर का दायरा शामिल है. इनमें देसी शराब, कंपोजिट शॉप, मॉडल शॉप और भांग की दुकानों के लिए प्रोसेसिंग फीस क्रमश: 50,000 रुपये, 75,000 रुपये, 80,000 रुपये और 25,000 रुपये तय की गई है।