Gluten Intolerance: ग्लूटेन इंटॉलरेंस होने पर रोटी खाने से भी करना पड़ता है परहेज, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

By अनन्या मिश्रा | Jun 24, 2025

अच्छे स्वास्थ्य के लिए खान-पान में सुधार करना बेहद जरूरी होता है। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक सभी लोगों को आहार में पौष्टिक चीजें, नट्स-सीड्स और साबुत अनाज को भरपूर मात्रा में शामिल करना चाहिए। भारतीय भोजन साबुत अनाज और चावल-रोटी आम अनाज है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोगों को इस तरह के आम दैनिक चीजों के सेवन से भी समस्या हो सकती हैं। विशेषतौर पर जिन खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन की मात्रा पाई जाती है, वहीं इसका सेवन करने से शरीर के लिए समस्या बढ़ाने वाली हो सकती है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में ग्लूटेन इंटॉलरेंस कहा जाता है।


ग्लूटेन इंटॉलरेंस एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को ग्लूटेन नामक प्रोटीन को पचाने में परेशानी होती है। यह प्रोटीन मुख्यत: गेहूं, जौ और राई जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को ब्रेड, पास्ता, रोटी-पराठा और बिस्किट जैसी चीजें खाने से भी परहेज करना पड़ता है।

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ग्लूटेन इंटॉलरेंस और इसके मामले

आंकड़ों पर नजर डालें, तो पता चलता है कि भारत में करीब अनुमानतः 6 से 8 मिलियन लोग सीलिएक डिजीज से पीड़ित है, जोकि ग्लूटेन इंटॉलरेंस का एक रूप है। ऐसे में अगर आप ग्लूटेन वाली चीजों का सेवन करते हैं, तो आपको बार-बार पेट में सूजन, गैस बनना, डायरिया, कब्ज, पेट में दर्द, थकावट, कमजोरी और स्किन पर चकत्ते जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


वहीं कुछ लोगों को बिना सीलिएक डिजीज के बिना भी ग्लूटेन वाली चीजों से एलर्जी हो सकती है।

 

क्यों होता है ग्लूटेन इंटॉलरेंस

विशेष रूप से ग्लूटेन इंटॉलरेंस, नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी एक ऐसी स्थिति है। जिसमें शरीर ग्लूटेन के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया करता है। हालांकि यह क्यों होता है, इसके सटीक वजहों को पूरी तरह से नहीं समझा जा सका है। लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो पर्यावरणीय कारक, गट माइक्रोबायोम और आनुवंशिकता सहित कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।


कुछ शोध बताते हैं कि ग्लूटेन इंटॉलरेंस गेहूं और अन्य ग्लूटेन युक्त अनाज में कुछ कार्बोहाइड्रेट को पचाने में समस्या के कारण भी हो सकती है। यह कार्बोहाइड्रेट आंत में किण्वित होने लगती हैं, जिसके कारण गैस, सूजन और पेट दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं।


आप तो नहीं हैं इसका शिकार

कहीं आप भी ग्लूटेन इंटॉलरेंस नहीं हैं, इसका पता लगाने के लिए कुछ खास लक्षणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। 


अगर आपको सामान्य खाना जैसे गेंहू या जौं से बनी चीजें खाने के बाद पेट में दर्द, दस्त या कब्ज, गैस और सिरदर्द की समस्या हो जाती है, तो सावधान हो जाना चाहिए। वहीं कुछ लोगों को इन चीजों को खाने से स्किन पर लाल चकत्ते हो सकते हैं। अगर अक्सर खाना खाने के बाद आपको यह समस्या हो रही हैं, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।


ग्लूटेन इंटॉलरेंस के उपाय

बता दें कि सीलिएक डिजीज का पता लगाने के लिए सीरोलॉजिकल टेस्ट या फिर आंतों की स्थिति का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं। जिससे पता चलता है कि आपको यह समस्या क्यों हो रही है। ऐसे में अगर आपको ग्लूटेन इंटॉलरेंस की समस्या होती है तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। 


हालांकि इस समस्या के लिए कोई दवा नहीं है, सिर्फ ग्लूटेन फ्री डाइट से दूरी बनाना ही बचाव का उपाय है।


इस समस्या वाले लोगों को गेहूं, जौ, राई और इनसे बने उत्पादों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।


ग्लूटेन इंटॉलरेंस वाले लोगों के लिए  चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार और कुट्टू जैसे विकल्प अच्छे हो सकते हैं। लेकिन इसके बारे में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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