कर्ज लेना पड़े तो लेंगे, लेकिन किसानों को तकलीफ नहीं होने देंगे: भूपेश बघेल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 28, 2020

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बृहस्पतिवार को कहा है कि उनकी सरकार किसानों के हित के लिए कर्ज भी ले सकती है। मुख्यमंत्री बघेल ने आज विधानसभा में राज्य सरकार के वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया। यदि हमें कर्ज लेना पड़ेगा तो कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को कोई तकलीफ नहीं होने देंगे। बघेल ने कहा कि आपकी नजर में विकास का पैमाना सड़कें और इमारत हो सकती हैं, लेकिन हमारी नजर में विकास का पैमाना किसान, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है। हमारी वचनबद्धता किसानों के प्रति है। विधानसभा में चर्चा के बाद 3,807 करोड़ 46 लाख रुपये की प्रथम अनुपूरक मांग पारित कर दी गई। वर्ष 2020-21 के वार्षिक बजट एक लाख दो हजार 907 करोड़ 43 लाख रुपये को मिलाकर बजट का कुल आकार एक लाख छह हजार 714 करोड़ 89 लाख रुपये हो गया है। मुख्यमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि किसानों को धान का 25 सौ रुपये प्रति क्विंटल मूल्य दिलाने के लिए ही हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना लेकर आए। इसमें दो किस्तों का भुगतान किसानों को कर दिया गया है, और शेष किस्तों का भुगतान भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जब नई सरकार आई तब राज्य सरकार के खजाने में 400 करोड़ रुपये की राशि थी, लेकिन 15 साल बाद जब हमें शासन की जिम्मेदारी मिली, तब राज्य पर 41 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था। वर्ष 2003 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 18 से 19 प्रतिशत थी, जो 15 साल बाद बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई। इसी तरह छत्तीसगढ़ में 37.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं, हमारी सरकार द्वारा चलाए गए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से छह से आठ माह में ही कुपोषित बच्चों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमने गरीबों, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने का काम किया। मनरेगा में 26 लाख लोगों को काम दिया गया। राजीव गांधी किसान योजना का लाभ प्रदेश के 19 लाख किसानों को दिया जा रहा है। लघु वनोपजों के संग्रहण के माध्यम से 12 से 13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार और आय के साधन उपलब्ध कराए गए हैं। 

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यही कारण है कि लॉकडाउन में भी छत्तीसगढ़ में व्यापार और उद्योग के पहिए चलते रहे। बघेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। राज्य सरकार के भी राजस्व में कमी आई है। केंद्र सरकार से जीएसटी के 2,828 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिले हैं। यदि यह राशि मिल जाती तो छत्तीसगढ़ को कर्ज लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती। इसी तरह राज्य में स्थित केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से सीएसआर की राशि भी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के प्रथम अनुपूरक बजट में कोरोना की आपदा से निपटने के लिए 978 करोड़ रुपये, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आपदा राहत और पेयजल के लिए एक हजार 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए 30 समर्पित कोविड-19 अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जिनमें 3,384 बिस्तर उपलब्ध हैं। इसी तरह 178 समर्पित कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्रों में 21 हजार 107 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। शासकीय अस्पतालों में कोरोना मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जा रहा है। निजी अस्पतालों में भी व्यवस्था की गई है। पृथकवास के लिए छह होटल निश्चित किए गए हैं। राज्य में बिस्तरों और वेंटिलेटरों की पर्याप्त व्यवस्था है। इनमें लगातार विस्तार भी किया जा रहा है।

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