2025 में जब जब दुनिया डगमगाई, मोदी ने आगे बढ़कर संभाल लिया

By नीरज कुमार दुबे | Dec 30, 2025

साल 2025 भारतीय राजनीति और वैश्विक कूटनीति के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की विजयगाथा के रूप में दर्ज हो गया। यह वर्ष केवल मोदी की चुनावी सफलताओं का नहीं रहा, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच, आर्थिक मजबूती, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक नेतृत्व के विस्तार का भी साक्षी बना। मोदी ने एक बार फिर यह साबित किया कि उनका नेतृत्व केवल सत्ता संचालन तक सीमित नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र को दिशा देने, संकट में निर्णय लेने और दुनिया को भारत की ताकत का अहसास कराने का सामर्थ्य रखता है।


2025 में विभिन्न राज्यों और स्थानीय निकायों के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सफलता के पीछे नरेंद्र मोदी की चुनावी रणनीति और नेतृत्व की स्पष्ट छाप दिखाई दी। मोदी ने जहां एक ओर सुशासन, विकास और राष्ट्रवाद को केंद्रीय मुद्दा बनाए रखा, वहीं दूसरी ओर संगठनात्मक मजबूती पर भी विशेष ध्यान दिया। बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने, लाभार्थी वर्ग से सीधा संवाद स्थापित करने और विपक्ष की कमजोरियों को उजागर करने की उनकी रणनीति ने भाजपा को बढ़त दिलाई।

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एनडीए के भीतर मतभेदों को साधते हुए मोदी ने सहयोगी दलों को एकजुट रखा और नए सहयोगियों को जोड़कर गठबंधन का विस्तार भी किया। उनका नेतृत्व सहयोगियों में विश्वास पैदा करने वाला रहा, जिससे एनडीए एक मजबूत और अनुशासित राजनीतिक परिवार के रूप में सामने आया।


इसके अलावा, साल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी का रुख पूरी तरह स्पष्ट और सख्त रहा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों और उनके ठिकानों पर कार्रवाई कर यह संदेश दे दिया कि भारत अब केवल आतंकी घटना की निंदा तक सीमित नहीं रहेगा। यह कार्रवाई न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण थी, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी दुनिया को यह समझाने में सफल रही कि भारत आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर अडिग है। मोदी के इस साहसिक निर्णय ने देशवासियों में सुरक्षा का भरोसा मजबूत किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की छवि एक निर्णायक शक्ति के रूप में और सुदृढ़ हुई।


वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ और दबावों के बावजूद मोदी ने भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया। रूस के साथ ऐतिहासिक मित्रता को कायम रखते हुए भारत ने ऊर्जा, रक्षा और कूटनीति के क्षेत्रों में संतुलित नीति अपनाई। मोदी का स्पष्ट संदेश रहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों पर किसी भी बाहरी दबाव को हावी नहीं होने देगा। रूस के साथ संबंधों को मजबूत रखना और साथ ही अमेरिका तथा यूरोप के साथ भी संतुलन बनाए रखना मोदी की बहुपक्षीय कूटनीति का उदाहरण है।


इसके अलावा, 2025 में भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा। वैश्विक मंदी और महंगाई के दौर में भी भारत ने स्थिरता और विकास दोनों को साधा। मोदी सरकार की नीतियों के चलते महंगाई नियंत्रण में रही, ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम बनी रहीं और निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, स्टार्टअप और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की नीतियों ने रोजगार सृजन और विकास को गति दी।


‘जीएसटी उत्सव’ के माध्यम से मोदी सरकार ने कर सुधारों की सफलता को जन-जन तक पहुंचाया। जीएसटी ने न केवल कर प्रणाली को सरल बनाया, बल्कि राज्यों की आय बढ़ाने और व्यापार सुगमता में भी अहम भूमिका निभाई। 2025 में जीएसटी संग्रह के नए रिकॉर्ड बने, जिसने सरकार को विकास योजनाओं के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए और अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी।


प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 में वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज को और बुलंद किया। ग्लोबल साउथ के मुद्दों को विश्व पटल पर मजबूती से उठाते हुए उन्होंने विकासशील देशों की समस्याओं, जलवायु न्याय और समावेशी विकास की वकालत की। उनकी चीन यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा और यह संकेत दिया कि भारत संवाद के साथ-साथ अपने हितों की रक्षा करना भी जानता है। वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिल्ली आमंत्रित कर मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में स्वतंत्र और प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।


इसके अलावा, 2025 में मोदी ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को भी वैश्विक स्तर पर मजबूती दी। धार्मिक स्थलों के विकास के जरिये स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही सांस्कृतिक आयोजनों और योग व आयुष के प्रचार ने भारत की सॉफ्ट पावर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।


इसके अलावा, विदेशों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना हो या प्राकृतिक आपदाओं में अन्य देशों की मदद करना हो, मोदी सरकार ने हर संकट में तत्परता दिखाई। इससे भारत की छवि एक जिम्मेदार और संवेदनशील वैश्विक शक्ति के रूप में उभरी।


बहरहाल, साल 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की बहुआयामी विजयगाथा का प्रतीक बनकर सामने आया। चुनावी सफलता, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक मजबूती और वैश्विक नेतृत्व जैसे मोर्चों पर मोदी ने अपने निर्णायक और दूरदर्शी नेतृत्व की छाप छोड़ी। यह वर्ष न केवल उनके राजनीतिक कद को और ऊंचा कर गया, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और सामर्थ्य की कहानी भी दुनिया के सामने रख गया।


-नीरज कुमार दुबे

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