2025 में BJP और NDA को मिली सफलताओं ने भविष्य की राजनीति की दिशा तय कर दी है

साल की शुरुआत दिल्ली विधानसभा चुनाव से हुई, जहां भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि देश की राजधानी को स्थिर, सक्षम और दूरदर्शी शासन की आवश्यकता है। विकास, बुनियादी सुविधाओं, स्वच्छ प्रशासन और राष्ट्रीय दृष्टि के मुद्दों को केंद्र में रखकर लड़ा गया यह चुनाव मुफ्त सौगातों की राजनीति करने वालों पर भारी पड़ा।
साल 2025 भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक ऐतिहासिक और निर्णायक वर्ष बनकर सामने आया। यह वर्ष केवल चुनावी आंकड़ों की कहानी नहीं बयां करके जा रहा है बल्कि उस गहरे जन विश्वास का साक्ष्य देकर जा रहा है जो भाजपा ने निरंतर अपने कार्य, नीति और संगठनात्मक अनुशासन से अर्जित किया है। साल की शुरुआत से लेकर अंत तक, चाहे दिल्ली विधानसभा चुनाव हों, विभिन्न राज्यों के नगर निकाय और पंचायत चुनाव हों या फिर बिहार विधानसभा का महासंग्राम, भाजपा ने हर मोर्चे पर यह साबित कर दिया कि वह आज भी जनता की पहली पसंद बनी हुई है।
साल की शुरुआत दिल्ली विधानसभा चुनाव से हुई, जहां भाजपा ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि देश की राजधानी को स्थिर, सक्षम और दूरदर्शी शासन की आवश्यकता है। विकास, बुनियादी सुविधाओं, स्वच्छ प्रशासन और राष्ट्रीय दृष्टि के मुद्दों को केंद्र में रखकर लड़ा गया यह चुनाव मुफ्त सौगातों की राजनीति करने वालों पर भारी पड़ा। दिल्ली के मतदाता ने यह महसूस किया कि भाजपा केवल वादे नहीं करती, बल्कि परिणाम देती है। इस जीत ने वर्ष 2025 के राजनीतिक स्वर को साल के शुरू में ही तय कर दिया था।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद महाराष्ट्र, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, असम जैसे राज्यों में हुए नगर निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा की अपार सफलता ने यह साबित कर दिया कि पार्टी की पकड़ केवल विधानसभा और लोकसभा तक सीमित नहीं है। महाराष्ट्र के शहरी निकायों से लेकर असम और अरुणाचल के गांवों तक, भाजपा ने स्थानीय मुद्दों को समझते हुए विकास का भरोसा दिया। गोवा में स्थिर प्रशासन और पारदर्शिता की छवि ने मतदाताओं को प्रभावित किया, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी और केंद्र सरकार की सक्रिय भागीदारी ने भाजपा को मजबूत आधार प्रदान किया। पंचायत और निकाय स्तर पर मिली ये जीतें इस बात का प्रमाण हैं कि भाजपा जमीनी राजनीति में भी अजेय होती जा रही है।
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भाजपा की इस निरंतर विजय का एक प्रमुख आधार है उसका मजबूत संगठन और बूथ स्तर तक फैला कार्यकर्ता नेटवर्क। पार्टी सभी चुनावों को एक मिशन के रूप में लड़ती है। हर बूथ पर कार्यकर्ता की जिम्मेदारी तय होती है, मतदाता से सीधा संवाद स्थापित किया जाता है और स्थानीय समस्याओं को एजेंडे में शामिल किया जाता है। यही कारण है कि भाजपा अक्सर वहां भी चमत्कार कर दिखाती है, जहां मुकाबला कठिन माना जाता है। संगठन की यह तल्लीनता और अनुशासन भाजपा को अन्य दलों से अलग खड़ा करता है।
इस पूरी विजय यात्रा के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरा है। मोदी का नेतृत्व जनता को इसलिए भा रहा है क्योंकि उनमें निर्णय क्षमता, स्पष्ट दृष्टि और राष्ट्र प्रथम का भाव साफ दिखाई देता है। प्रधानमंत्री की कार्यशैली ने जनता के मन में यह भरोसा पैदा किया है कि देश सुरक्षित हाथों में है। चाहे राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल हो, आर्थिक सुधार हों या फिर गरीब और मध्यम वर्ग के कल्याण की योजनाएं, मोदी के नेतृत्व में लिए गए फैसलों ने भाजपा को एक विश्वसनीय राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित किया है। चुनावों में यह भरोसा मतों में बदलता हुआ साफ नजर आता है।
इसके अलावा, साल 2025 में पार्टी को नया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मिलना भी इस विजय गाथा का अहम अध्याय है। यह बदलाव भाजपा की विचार आधारित राजनीति का उदाहरण है। माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष के साथ संगठन में नई ऊर्जा और नई रणनीति देखने को मिलेगी। नेतृत्व परिवर्तन को सहजता से स्वीकार करना भाजपा की आंतरिक लोकतांत्रिक परंपरा को दर्शाता है, जहां व्यक्ति से अधिक संगठन और विचारधारा को महत्व दिया जाता है। साथ ही बिहार में मंत्री रहे नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाना यह भी दर्शाता है कि भाजपा में कोई साधारण कार्यकर्ता भी अपने परिश्रम के चलते राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने की भूमिका में आ सकता है।
इसके अलावा, एनडीए के सहयोगियों के साथ तालमेल भाजपा की एक और बड़ी ताकत साबित हुआ है। साल 2025 में यह साफ दिखा कि भाजपा गठबंधन को मजबूरी नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति के रूप में देखती है। क्षेत्रीय दलों को सम्मान, स्पष्ट भूमिका और साझा विकास एजेंडा देकर भाजपा ने एनडीए को अजेय गठबंधन में बदल दिया। इसी एकजुटता का परिणाम रहा कि देश के अलग अलग हिस्सों में एनडीए का विजय रथ बिना रुके आगे बढ़ता रहा।
साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव इस पूरे वर्ष की राजनीति का निर्णायक मोड़ बने। बिहार में भाजपा ने जातीय राजनीति से ऊपर उठकर विकास, रोजगार, कानून व्यवस्था और युवाओं के भविष्य को केंद्र में रखा। आक्रामक लेकिन तथ्य आधारित प्रचार ने जनता को यह सोचने पर मजबूर किया कि राज्य को स्थायी और मजबूत शासन की जरूरत है। बिहार की जीत ने यह साबित कर दिया कि भाजपा सामाजिक समीकरणों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में सफल रही है।
देखा जाये तो भाजपा की लगातार जीत का मूल कारण है जन विश्वास। यह विश्वास भाषणों से नहीं, बल्कि काम से बना है। गरीब कल्याण, किसान सहायता, महिला सशक्तिकरण, बुनियादी ढांचे का विस्तार और वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत उपस्थिति ने आम नागरिक के मन में गर्व और भरोसा दोनों को मजबूत किया है। विपक्ष जहां आरोपों और भ्रम की राजनीति में उलझा रहा, वहीं भाजपा ने हर सवाल का जवाब अपने काम से दिया।
बहरहाल, साल 2025 की यह विजय गाथा स्पष्ट संकेत देती है कि भाजपा केवल वर्तमान की सत्ता नहीं, बल्कि भविष्य की राजनीति की दिशा तय करने वाली शक्ति बन चुकी है। मजबूत नेतृत्व, संगठित कार्यकर्ता, सशक्त एनडीए और अटूट जन समर्थन के साथ भाजपा का राजनीतिक अभियान लगातार आगे बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में भी यह विजय क्रम थमता हुआ नहीं दिखता।
-नीरज कुमार दुबे
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