By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 18, 2024
देहरादून। केंद्र और उत्तराखंड सरकारों की तरफ से मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने से राज्य में मोटे अनाज उगाने वाले चार में से तीन किसानों की वार्षिक आय में 10-20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम), काशीपुर ने उत्तराखंड के 2,100 से अधिक किसानों पर यह अध्ययन किया है। इसमें पाया गया कि कई किसान अभी भी मोटे अनाज-आधारित उत्पादों की बढ़ती मांग से अवगत नहीं हैं, और इसे केवल व्यक्तिगत उपभोग के लिए कम मात्रा में उगा रहे हैं।
अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, मोटे अनाज उत्पादकों के बीच उनकी फसल की बढ़ती बाजार मांग के बारे में जागरूकता बढ़ने से अधिक से अधिक लोगों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट कहती है कि 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाए जाने की घोषणा ने दुनिया भर में एक टिकाऊ फसल के रूप में मोटे अनाजों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज से जुड़े उत्पादों की मांग भी बढ़ी है।
अध्ययन के मुताबिक, उत्तराखंड में मोटे अनाज उगाने वाले 75 प्रतिशत किसानों की आय में 10-20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार फसल की खेती को बढ़ावा दे रही है। हालांकि, इस सर्वेक्षण में मोटा अनाज उगाने वाले किसानों की संख्या नहीं बताई गई है।
अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक एवं आईआईएम काशीपुर में सहायक प्रोफेसर शिवम राय ने कहा, ‘‘अपने उपभोग के लिए मोटा अनाज उगाने वाले अधिकांश किसान इसे चावल और गेहूं की तरह नकदी फसल की तरह नहीं अपना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह अध्ययन मोटा अनाज उत्पादन की विपणन क्षमता की चुनौतियों का समाधान करने और इसकी आर्थिक उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करने के लिए आयोजित किया गया था। सर्वेक्षण के लिए नमूना राज्य के प्रमुख पहाड़ी क्षेत्रों पिथौरागढ़, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग और चमोली से एकत्र किया गया था।