By Prabhasakshi News Desk | Feb 01, 2025
भारत कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और जैसलमेर से लेकर इंदिरा प्वांइंट तक एक बड़े भू-भाग में फैला हुआ है। जिसकी समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है और कई भागों में फैली हुई है। देश की आजादी के लगभग 30 बरस बाद इन सीमाओं की देखरेख करने का जिम्मा भारतीय तटरक्षक बल को सौंपा गया। दरअसल आजादी के बाद से ही देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा का जिम्मा भारतीय नौसेना का था, लेकिन अपने पडोसी देशों से दो युद्ध लड़ने के बाद नीति नियंताओं ने ये सोचा कि क्यों नहीं भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा, निगहबानी, और अन्य समुद्री सीमा से जुड़ी गतिविधियों के लिए एक अलग फोर्स का निर्माण किया जाए।
कब हुई भारतीय तटरक्षक दल की स्थापना?
भारतीय नौ सेना के बोझ को कुछ हद तक कम करने के लिए ही 1 फरवरी 1977 को रक्षा मंत्रालय के अधीन भारतीय तटरक्षक बल की अंतरिम रूप से स्थापना की गई। जब भारतीय तटरक्षक दल की स्थापना की गई तब उस समय देश समुद्र के माध्यम से भारत के अंदर आने वाली तस्करी ने देश की अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल दिया। इसलिए समस्या का दूर करने के लिए इंडियन नेवी और इंडियन एयरफोर्स की भागीदारी से नागचौधरी समिति का गठन किया गया। जिसकी सिफारिश पर ही 18 अगस्त 1978 को भारतीय तटरक्षक बल की स्थापना की गई और संसद में एक अधिनियन पारित कर इसे भारत को गैर-सैन्य समु्द्री सेवाएं प्रदान करने के लिए तटरक्षक बल की स्थापना की गई।
देश की सीमा को रखती है सुरक्षित
भारतीय तटरक्षक बल भारत की समुद्री सीमा में प्रवेश करने वाली हर असैन्य सेवाओं की निगरानी करता है। जैसे कि उसका मुख्य काम भारत की समुद्री सीमा में और तट पर किसी भी व्यापारिक गतिविधि जिससे भारत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रुप से हानि पहुंचती हो, को रोकना है। भारतीय नौसेना के मुताबिक राजस्व विभाग (सीमा शुल्क), मत्स्य पालन विभाग, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राज्य पुलिस सेवाएं सभी तट रक्षकों के साथ क्लोज कोऑर्डिनेशन में काम करते हैं।
तटरक्षक बल का मोटो
भारत के तटरक्षक बल का मोटो वयम् रक्षाम् है। जिसका अर्थ है बचाव के लिए रक्षा करना है।
जानिए इंडियन कोस्ट गार्ड के बारे में रोचक बातें