By प्रज्ञा पाण्डेय | Sep 25, 2019
आश्विन मास की कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को इन्दिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष में पड़ने के कारण यह एकादशी खास होती है। यह व्रत करने से पितरों को पापों से मुक्ति मिलती है तो आइए इन्दिरा एकादशी के महत्व पर चर्चा करते हैं।
इंदिरा एकादशी का महत्व
पितृ पक्ष में पड़ने के कारण इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इंदिरा एकादशी के दिन व्रत करने से न केवल पितरों का उद्धार होता है बल्कि नर्क भोग रहे पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यही नहीं इन्दिरा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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इंदिरा एकादशी के दिन कैसे करें पूजा
इंदिरा एकादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। इस एकादशी के दिन विधिवत पूजा-अर्चना से न केवल व्रती को पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि विष्णु भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है।
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व्रत से जुड़ी कथा
कथा के अनुसार प्राचीनकाल में महिष्मति नगर में इंद्रसेन नाम का एक राजा शासन करता था। वह राजा विष्णु का परम भक्त था। एक दिन जब राजा अपनी सभा में बैठा था तो महर्षि नारद उसकी सभा में आए। मुनि ने राजा से कहा कि आपके सभी अंग कुशल तो है न और आप विष्णु की भक्ति को करते हैं न ? यह सब सुनकर राजा ने कहा कि सब ठीक है। मैं यमलोक में तुम्हारे पिता को यमराज के निकट सोते देखा उऩ्होंने संदेश दिया कि मेरे पुत्र को एकादशी का व्रत करने को कहना। यह सुनकर राजा व्यग्र हो गए और नारद से बोले कि आप मुझे व्रत की विधि बताएं। नारद ने कहा कि दशमी के दिन नदी में स्नान कर पितरों का श्राद्ध करें और एकादशी को फलाहार कर भगवान की पूजा करो।
साथ ही नारदजी कहने लगे अगर आप इस विधि से बिना आलस के एकादशी का व्रत करेंगे आपके पिता जरूर स्वर्ग जाएंगे। इतना कहकर नारदजी चले गए। नारदजी की कथा के अनुसार राजा ने अपने भाइयों और दासों के साथ व्रत करने से आकाश से फूलों की बारिश हुई और उस राजा के पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक पर चले गए। राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के असर से अंत में अपने पुत्र को राज्य देकर स्वर्ग को चले गए।
- प्रज्ञा पाण्डेय