क्या पवार परिवार में सबकुछ ठीक ? तो फिर CBI जांच और राम मंदिर को लेकर विचारों में मतभेद क्यों ?

By अनुराग गुप्ता | Aug 24, 2020

मुंबई। क्या पवार परिवार में सब कुछ सही नहीं चल रहा है ? क्या पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी के नेता का मौन समर्थन प्राप्त है ? क्या शरद पवार के खिलाफ जाना चाहते हैं कुछ लोग ? इस तरह के सवाल हमारे आस-पास मंडरा रहे हैं। यह सवाल राम मंदिर निर्माण कार्य और सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले के बाद से उठना शुरू हुए। एक तरफ जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम से पहले प्रतिक्रिया दी कि क्या राम मंदिर बनने से कोरोना समाप्त हो जाएगा तो वहीं दूसरी तरफ उनके पोते और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार ने मंदिर निर्माण को आस्था का प्रतीक बता दिया और शुभकामना संदेश देते हुए एक पत्र भी लिखा। 

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पार्थ पवार के इस कदम से उनके परिवार के भीतर चल रहे टकराव की बातें सामने आईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्थ के बयान को लेकर जब बुआ सुप्रिया सुले से सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे पार्थ की राय बताते हुए पल्ला झाड़ लिया था। मगर परिवार से अलग चलने का मन बना चुके पार्थ कहां दादा शरद पवार के बयानों में हां से हां मिलाने वाले थे।

सुशांत सिंह राजपूत सीबीआई जांच मामला

हाल ही में पार्थ पवार ने सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में सार्वजनिक तौर पर सीबीआई जांच की मांग की थी। पार्थ की इस मांग से शरद पवार काफी ज्यादा दुखी हुए और उन्होंने इसको लेकर पार्थ को फटकार भी लगाई थी। उन्होंने कहा था कि वह उनकी मांग को बिल्कुल भी महत्व नहीं देते। बाद में पार्टी ने वरिष्ठ नेता छगन भुजबल का भी बयान सामने आया था और उन्होंने पार्थ को अपरिपक्व नेता करार दिया था। मगर सवाल यही खड़ा होता है कि क्या पार्थ पवार बागी तेवर अपना सकते हैं ? 

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ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जब सुशांत मामले में सीबीआई को जांच सौंपने के लिए झरी झंडी दिखा दी तो तुरंत बाद ही पार्थ पवार ने एक ट्वीट करते हुए सत्यमेव जयते ! लिखा। जबकि शरद पवार ने तो सीबीआई की जांच को घेरने का प्रयास किया और सात साल से चल रही डॉ नरेंद्र दाभोलकर की जांच विषय में बयान जारी कर दिया।

पार्थ पवार के रवैये से शरद पवार परेशान है और बुआ सुप्रिया सुले तो अजीत पवार से मुलाकात भी कर चुकी हैं। हालांकि, खबरें ऐसी हैं कि पार्थ के बयान को बचकाना बताकर शरद पवार ने न सिर्फ पार्थ को बल्कि अजीत पवार को भी दुखी कर दिया है। जानकार बताते हैं कि अजीत पवार मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन उन्हें ले-देकर उपमुख्यमंत्री का पद मिला। यह कोई पहली दफा नहीं है जब ऐसा हुआ हो। साल 2004 में एनसीपी के पास ज्यादा विधायक थे इसके बावजूद शरद पवार ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री का पद दे दिया था और इस बार शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना और फिर उद्धव ठाकरे को 5 साल के लिए मुख्यमंत्री का पद दे देना भी उन्हें नहीं जमा है। ऐसे में पार्थ को अजीत पवार का मौन समर्थन प्राप्त हो सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा था कि पवार परिवार में सबकुछ ठीक है।  

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