एक लकीर खींच इजरायल ने 21 देशों की संसद में ला दिया भूचाल, भारत बैठे-बैठे होगा मालामाल, मोदी के दोस्त ने कैसे पलटा खेल

By अभिनय आकाश | Dec 30, 2025

दुनिया के नक्शे पर एक लकीर खींचते ही कैसे 21 देशों की संसद में भूचाल आ सकता है। इसका जीता जागता सबूत 26 दिसंबर 2025 को पूरी दुनिया ने अपनी आंखों से देखा। ना कोई मिसाइल चली, ना कोई बम गिरा और ना ही किसी बॉर्डर पर सेना ने कदम रखा। लेकिन फिर भी सऊदी अरब से लेकर पाकिस्तान और तुर्की से लेकर ईरान तक हर जगह मातम जैसा सन्नाटा और फिर हो हल्ला मच गया। यह खलबली किसी छोटे-मोटे मुद्दे पर नहीं बल्कि एक ऐसे मास्टर स्ट्रोक पर है जिसने तथाकथित इस्लामिक ब्रदरहुड की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। मामला सिर्फ जमीन के एक टुकड़े को देश मानने का नहीं है बल्कि उस समुद्री रास्ते पर कब्जा करने का है जहां से दुनिया का 40% व्यापार गुजरता है। भारत के सबसे भरोसेमंद साथी इजराइल ने अफ्रीका के सींग यानी हॉर्न ऑफ अफ्रीका पर एक ऐसा दांव खेला है जिसे देखकर भारत के दुश्मनों को दिन में ही तारे नजर आने लगे हैं।

सोमालीलैंड बनेगा देश

इजराइल ने सोमाली लैंड को मान्यता दी तो इस्लामिक देश आग बबूला हो गए। लेकिन सबसे ज्यादा तुर्की तिलमिलाया हुआ है। सऊदी समेत कई सारे देश खफा हो गए हैं। सोमालीलैंड क्योंकि गल्फ ऑफ एडेन और लाल सागर दोनों के काफी करीब है। दरअसल, इजराइल ने सोमाली लैंड को ऐसे वक्त में मान्यता दी है जब पूरा लाल सागर क्षेत्र पहले से ही अस्थिर है। विद्रोहियों के हमले, ईरान की बढ़ती दखल अंदाजी और वैश्विक व्यापार पर मंडराता खतरा इन सबके बीच नेतन्या का फैसला यह कोई ऐसे ही लिया गया फैसला नहीं है बल्कि पूरी तरह रणनीतिक है। 

क्यों इतना अहम है सोमालीलैंड

दुनिया का करीब 12% समुद्री व्यापार इसी रास्ते से गुजरता है। पहले सोमाली समुद्री लुटेरों का भी आतंक यहां पर रहा। सोमाली ललैंड हॉर्न ऑफ अफ्रीका में मौजूद है। इसके पड़ोसी देश हैं इथियोपिया जिबूती और सबसे बड़ी बात सोमाली लैंड गल्फ ऑफ एडेन और लाल सागर दोनों के बहुत ज्यादा करीब है। इन दोनों समुद्री रास्तों को अलग करता है बाब अल मंडेब जलडरू मध्य। यह वही चौक पॉइंट है जहां से होकर यूरोप, एशिया और अफ्रीका को जोड़ने वाले समुद्री व्यापारी गुजरते हैं। इसलिए इसे विश्व स्तर पर काफी संवेदनशील भी माना जाता है। 

अमेरिका का क्या स्टैंड है?

अमेरिका का रुख इजराइल से अलग है। ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने सोमाली लैंड को मान्यता देने पर सोचा नहीं है। उन्होंने मान्यता देने के सवाल पर कहा, नहीं।  इजराइल ने सोमाली लैंड को उस वक्त मान्यता दी है जब लाल सागर क्षेत्र पहले से अस्थिर है। ने लाल सागर से गुजरने वाले कारगो जहाजों पर हमले किए हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधित हुआ है। ऐसे में सोमाली लैंड में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत कर इजराइल ने तुर्की के पैरों तले जमीन खिसका दी है। दावा किया जा रहा है कि इजरायल वहां अपनी इंटेलिजेंस का विस्तार करेगा। लॉजिस्टिक और नौसैनिक पहुंच को बढ़ाएगा। इसलिए इजराइल का सोमाली लैंड को मान्यता देना प्रतीकात्मक नहीं बल्कि रणनीतिक है। 

इजराइल को कौन से फायदे होंगे? 

पहला फायदा सोमालैंड की लोकेशन इजराइल को लाल सागर और गल्फ ऑफ एडन जैसे समुद्री वैश्विक चौक जो हैं पॉइंट पर निगरानी और प्रभाव बढ़ाने का मौका मिलेगा। दूसरा पॉइंट सोमाइलीलैंड के रास्ते इजराइल को अब ईरान समर्थित हूं विद्रोहियों के खिलाफ मिलिट्री इंटेलिजेंस मिल पाएगी। यूएई पहले से ही सोमालैंड में पोर्ट और लॉजिस्टिक में निवेश कर चुका है। 

सोमाली लैंड में इजराइल की पकड़ मजबूत होने का सीधा फायदा नई दिल्ली को मिलेगा

इजराइल की एंट्री का सीधा मतलब है तुर्की के प्रभाव को चुनौती और पाकिस्तान पाकिस्तान तो बस बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना उसकी अपनी अर्थव्यवस्था की सांसे फूल रही हैं। लेकिन उसे अफ्रीका के नक्शे की चिंता सता रही है। पाकिस्तान का डर यह है कि अगर आज सोमाली लैंड को मान्यता मिल गई तो कल को बलूचिस्तान भी यही मांग उठा सकता है। यह डर ही है जिसने इन तमाम देशों को एक कागज पर दस्तखत करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह बयान में कह रहे हैं कि यह फिलिस्तीनी लोगों को उनकी जमीन से निकालने की साजिश से जुड़ा है। लेकिन इजराइल की यह चाल भारत के लिए एक लॉटरी लगने जैसी है। भारत का बहुत बड़ा व्यापार लाल सागर और स्वेज नहर के रास्ते होता है। पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि कैसे तुर्की और पाकिस्तान मिलकर भारत के खिलाफ एक गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहे थे। तुर्की तो खुलकर कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान वंड का साथ देता आया है। अब इजराइल ने तुर्की की दुखती रग सोमालिया पर हाथ रखकर उसे अपने ही घर में उलझा दिया है। इसे कहते हैं बिना लड़े युद्ध जीतना। इसके अलावा भारत को अब सोमाली लैंड के रूप में एक नया संभावित साझेदार मिल सकता है। अगर कल को भारत सोमाली लैंड के साथ व्यापारिक या रणनीतिक रिश्ते बनाता है तो इजराइल वहां पहले से मौजूद है जो हमारे लिए रेड कारपेट बिछा देगा। हिंद महासागर में चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स थ्योरी को काटने के लिए भारत को अफ्रीका के तट पर मजबूत दोस्तों की जरूरत थी। जिबूती में चीन का मिलिट्री बेस है। ग्वादर में पाकिस्तान चीन की गोद में बैठा है। ऐसे में सोमाली लैंड में इजराइल की मौजूदगी भारत के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी। 

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