इसरो ऐसे भविष्य की तकनीक पर काम कर रहा है जो अबतक सिर्फ हॉलिवुड की साइंस-फिक्शन फिल्मों में ही दिखी हैं। एक ऐसा रॉकेट जो मिशन की कामयाबी के साथ खुद को ही खा ले, एक ऐसी सैटलाइट जो खुद ही गायब हो जाए ISRO ऐसे ही जबरदस्त तकनीकों पर काम कर रहा है। एक-दो नहीं बल्कि ऐसी 46 फ्यूरिस्टिक टेक्नॉलजीज पर काम चल रहा है। इसरो चीफ के. सिवन ने बताया कि हम तमाम ऐसी तकनीकों पर काम कर रहे हैं मसलन रॉकेट खुद को खा जाए जिससे समुद्र में कचरा न गिरे। ISRO चेयरमैन के सिवन ने मंगलवार को अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि,हमारे सभी रॉकेटों में मेटल केस (धातु से बनी बॉडी) होता है जो लॉन्च के बाद या तो समुद्र में गिर जाता है या फिर फाइनल स्टेज के बाद अंतरिक्ष में रह जाता है, कचरे के तौर पर। हम एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें रॉकेट खुद को ही पूरी तरह खा लेंगे, जिससे न तो समुद्र में कचरा गिरेगा और न ही अंतरिक्ष में मलबा बनेगा। हम रॉकेट की बॉडी बनाने के लिए किसी खास मैटेरियल की खोज में हैं जो मोटर के साथ खुद को खत्म कर सके।
एक ऐसी तकनीक पर भी काम किया जा रहा है जिसमें सैटलाइट खुद ही गायब हो जाए। खुद ही पूरी तरह खत्म हो जाए। यानी जब किसी स्पेसक्राफ्ट की उम्र पूरी हो जाए तो बस एक 'किल बटन' दबाने से उसके नष्ट होने की प्रक्रिया शुरू हो जाए। वह अपने ऑर्बिट में ही पूरी तरह नष्ट हो जाए, खाक हो जाए।