गणतंत्र दिवस परेड में झांकी का मुद्दा गरमाया, जानें कौन करता है चयन और क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया

By अभिनय आकाश | Jan 17, 2022

दिल्ली सज धज कर तैयार है बलिदान समर्पण उपलब्धि के अभूतपूर्व लम्हे को मनाने के लिए। 72 साल पहले घड़ी में 10 बजकर 18 मिनट हो रहे थे। जब 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय गणतंत्र का ऐतिहासिक ऐलान हुआ था। मोदी सरकार ने सेना दिवस के मौके पर देशवासियों के नाम एक बड़ा ऐलान किया। गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत अब हर साल 24 जनवरी के बजाय 23 जनवरी को शरू होगी ताकि स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती इसमें शामिल हो सके। इससे पहले बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी। हर साल 26 जनवरी के मौके पर भव्य परेड की तस्वीरों से देश तो अक्सर दो-चार होता है। परेड में अलग-अलग प्रदेशों की कला-संस्कृति की झांकियां दिखती हैं। परेड में भारतीय सेना के सभी कैटगरी की मार्च फास्ट भी देखने को मिलती है। लेकिन अब आगामी गणतंत्र दिवस परेड से बंगाल की झांकी को बाहर करने का मुद्दा गरमा गया है। स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को नहीं लेने के केंद्र सरकार के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हैरानी जताई है। ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील की है। बनर्जी ने यह भी कहा कि झांकी को खारिज करने का कोई कारण नहीं बताया गया। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि गणतंत्र दिवस परेड को लेकर झांकी का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है? झांकी का चयन कैसे होता है, इस बार के गणतंत्र दिवस पर क्या खास रहने वाला है।

भारत इस साल मंगलवार को अपना 72वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह देखा जा सकता है कि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में भी जाना जाता है। गणतंत्र दिवस पूरे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। नई दिल्ली में राजपथ पर एक भव्य परेड का आयोजन किया जाएगा जो रक्षा क्षमताओं, विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करेगी। हालांकि, इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्सव कुछ अलग दिखने वाला है। इस बार कथित तौर पर कहा गया है कि परेड 8.2 किमी के बजाय केवल 3.3 किमी की दूरी तय करेगी और यह विजय चौक से शुरू होगी और नेशनल स्टेडियम में समाप्त होगी। हर साल, गणतंत्र दिवस के उत्सव में, झांकी का प्रतिनिधित्व किया जाता है जो इतिहास की कहानी या एक दृश्य को प्रदर्शित करती है।

इसे भी पढ़ें: चुनाव से पहले सिद्धू-चन्नी के बीच बढ़ी तकरार ! क्या सत्ता बचा पाने में कामयाब होगी कांग्रेस ?

ममता ने लिखा पत्र

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को लिखे दो पन्नों के पत्र में कहा, 'मैं भारत सरकार के आगामी गणतंत्र दिवस परेड से पश्चिम बंगाल सरकार की प्रस्तावित झांकी को अचानक बाहर करने के निर्णय से स्तब्ध और आहत हूं। यह हमारे लिए और भी चौंकाने वाली बात है कि झांकी को बिना कोई कारण या औचित्य बताए खारिज कर दिया गया।' मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती वर्ष पर उनके और आजाद हिंद फौज के योगदान की याद में बनाई गई थी। बनर्जी ने पत्र में कहा, 'मैं आपको सूचित करना चाहती हूं कि पश्चिम बंगाल के लोग केंद्र सरकार के इस रवैये से बहुत आहत हैं। यह जानकर हैरानी होती है कि यहां के बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को स्वतंत्रता के 75वें वर्ष पर गणतंत्र दिवस समारोह में इस अवसर को मनाने के लिए कोई जगह नहीं मिली है।  

झांकी क्या हैं? 

गणतंत्र दिवस पर देश की सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के साथ ही कौशल और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रदर्शन होता है। लगभग हर राज्य की एक झांकी इस परेड में शामिल होती है। झांकी  मॉडलों का एक समूह है जो भारतीय इतिहास की कहानी या एक दृश्य को प्रदर्शित करती है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य, विभाग और मंत्रालय इतिहास के रूप में अपनी उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें उन्हें संबंधित झांकी द्वारा दर्शाया जाता है।

झांकी का चयन कौन करता है?

यह मोदी सरकार नहीं है जो झांकी पर फैसला करती है। विभिन्न राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से प्राप्त झांकी प्रस्तावों का मूल्यांकन कला, संस्कृति, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि के क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोगों की विशेषज्ञ समिति की बैठकों की एक श्रृंखला में किया जाता है। विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशें करने से पहले विषय, अवधारणा, डिजाइन और दृश्य प्रभाव के आधार प्रस्तावों की जांच करती है। 

इसे भी पढ़ें: ब्रिटिश PM ने आखिर ऐसा क्या किया? होने लगी इस्तीफे की मांग और फिर संसद में सबके सामने मांगनी पड़ी माफी

विचार कैसे प्रस्तुत किए जाते हैं?

यह देखा जा सकता है कि चयन प्रक्रिया बहुत लंबी है। इसमें रक्षा मंत्रालय कला के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ एक विशेषज्ञ समिति का गठन करता है ताकि प्रस्तावों को तदनुसार शॉर्टलिस्ट किया जा सके। विशेषज्ञ समिति में कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला आदि के विभिन्न क्षेत्रों के लोग होते हैं। इसके बाद, वे सभी मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ राज्यों से प्राप्त विभिन्न प्रस्तावों का विश्लेषण करते हैं और समिति उनका मूल्यांकन करती है। 

ममता के दावे की हकीकत

समय की कमी के कारण, केवल कुछ प्रस्तावों को ही स्वीकार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए गणतंत्र दिवस परेड 2022 के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से कुल 56 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। इन 56 में से 21 प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। समय की कमी को देखते हुए स्वीकृत प्रस्तावों की तुलना में अधिक प्रस्तावों को अस्वीकार करना स्वाभाविक है। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के प्रस्तावों को विषय विशेषज्ञ समिति ने उचित प्रक्रिया और उचित विचार-विमर्श के बाद खारिज कर दिया था। हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि केरल के झांकी प्रस्तावों को 2018 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था। इसी तरह तमिलनाडु की झांकियों के प्रस्तावों को 2016, 2017, 2019, 2020 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2016, 2017, 2019 और 2021 में उसी मोदी सरकार के तहत पश्चिम बंगाल के झांकी प्रस्तावों को उसी प्रक्रिया और प्रणाली के माध्यम से स्वीकार किया गया था। 

गणतंत्र दिवस पर कैसी होगी व्यवस्था

पिछले साल कोविड के प्रकोप के बीच गणतंत्र दिवस के परेड का आयोजन किया गया था। इस दौरान करीब 25 हजार लोगों को उपस्थित होने की अनुमति थी। पिछली बार की इस तरह इस बार भी वैश्विक महामारी के कारण विदेश से किसी गणमान्य व्यक्ति को संभवत: आमंत्रण नहीं किया जाएगा। हालांकि भारत उजबेकिस्तान, तुर्कमेस्तान, तजाकिस्तान के गणराज्य और नेताओं को आमंत्रित करने की योजना बना रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार परेड के दौरान उपस्थित रहने वाले करीब 24 हजार लोगों में से 19 हजार लोगों को आमंत्रित किया जाएगा और शेष आम जन होंगे, जो टिकट खरीद सकेंगे। परेड के दौरान सभी कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा। लोगों के बैठने का प्रबंधन करते समय सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया जाएगा। हर जगह सेनिटाइजर छिड़काव करने वाले उपकरण लगे होंगे और मास्क अनिवार्य होगा।  भारतीय वायुसेना, सेना और नौसेना के विमानों सहित 75 लड़ाकू विमानों के साथ गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राजपथ पर होने वाला फ्लाईपास्ट अब तक का सबसे भव्य फ्लाईपास्ट होगा। यह सब आजादी का अमृत महोत्सव के अनुरूप है। पांच राफेल विनाश की आकृति में राजपथ के ऊपर से उड़ान भरेंगे। आजादी का अमृत महोत्वस मनाने के लिए 17 जगुआर लड़ाकू विमान 75 के आकार में उड़ान भरेंगे। बहरहाल, इस बार राफेल की गर्जना के साथ ही राज्यों की झांकियां भी होंगी। वीरता भी होगी और वीर भी रहेंगे। 15 अगस्त को अगर हिन्दुस्तान ने आजादी के रूप में अपनी नियति से मिलन किया था तो 26 जनवरी को हमे अस्तित्व की प्राप्ति हुई थी। 

-अभिनय आकाश 

प्रमुख खबरें

Punjab: फिरोजपुर में बेअदबी मामले में19-वर्षीय युवक की पीट-पीटकर हत्या

दिल्ली कांग्रेस ने फर्जी खबरें फैलाने के लिए भाजपा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई

Odisha को मोदी सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए एक ऊर्जावान सरकार की जरूरत है: Jaishankar

Southern Brazil में भीषण बाढ़ के कारण कम से कम 39 लोगों की मौत