By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 10, 2019
नयी दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक पर अमेरिकी संघीय आयोग की आलोचनात्मक टिप्पणी को सही नहीं बताते हुए भारत ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी संस्था ने उस विषय पर अपने पूर्वाग्रह से निर्देशित होने का रास्ता चुना जिस पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिये अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने सोमवार को जारी बयान में आरोप लगाया कि प्रवासियों के लिये नागरिकता सुनिश्चित करने वाला नागरिकता (संशोधन) विधेयक खास तौर पर मुसलमानों को इससे बाहर रखता है और धर्म के आधार पर नागरिकता के लिये एक कानूनी मानदंड स्थापित करता है।
इसे भी पढ़ें: CAB पर बोले सचिन पायलट, इसे लाने के पीछे कुछ न कुछ राजनीति है
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि विधेयक पर यूएससीआईआरएफ का बयान न तो सही है न ही वांछित। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता नहीं छीनता है। कुमार ने कहा कि यूएससीआईआरएफ द्वारा अपनाया गया रुख उसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है। हालांकि यह खेदपूर्ण है कि उस मामले में संस्था ने अपने पूर्वाग्रह और पक्षपातपूर्ण रवैये से निर्देशित होना चुना जिस पर उसका ज्ञान बेहद सीमित है तथा जिस पर उसका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
इसे भी पढ़ें: भारत की नागरिकता ले चुके अदनान सामी ने किया CAB का समर्थन
लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना का सामना कर भारत आने वाले गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता उपलब्ध कराने का प्रावधान है।