सरकार की आलोचना करते समय लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना जरूरी, उमर खालिद की जमानत याचिका पर HC की ये टिप्पणियां आप भी जानें

By अभिनय आकाश | Apr 28, 2022

दिल्ली उच्च न्यायालय ने उमर खालिद की याचिका शुक्रवार के लिए स्थगित कर दी है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को जेएनयू के शोधकर्ता-कार्यकर्ता उमर खालिद की अपील की सुनवाई शुक्रवार को यह कहते हुए स्थगित कर दी कि उनके कथित 'आपत्तिजनक भाषण' की व्याख्या करने वाले उनके नए दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं आए हैं। लेकिन इससे पहले दिल्ली दंगों की  साजिश रचने के मामले में जेल में बंद उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोपी उमर खालिद के नफरत भरे भाषण को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट के सवाल पर खालिद के वकील सिर्फ यही कहते रहे कि सरकार की आलोचना अपराध नहीं हो सकती। वहीं दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि जमानत रद्द करने का निचली अदालत का फैसला बिल्कुल सही है। 

 सरकार की आलोचना करते समय लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना जरूरी

दिल्ली हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र के अमरावती में दिए गए भाषण देखने के बाद खालिद के वकील से जुमला शब्द इस्तेमाल करने को लेकर सवाल किया। कोर्ट ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करना उचित है? कोर्ट ने कहा कि सरकार की आलोचना करते समय लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए। इस पर उमर खालिद के वकील ने जवाब दिया कि सरकार की आलोचना अपराध नहीं हो सकता। जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने जमानत नहीं देने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है।

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कोई चंगा शब्द इस्तेमाल हुआ, वो क्या है?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्पीच में चंगा शब्द के इस्तेमाल को लेकर भी सवाल किया। जस्टिस भटनागर ने पूछा कि भाषण में पीएम को लेकर क्या कहा गया था। कोई चंगा शब्द इस्तेमाल हुआ, वो क्या है? इस पर उमर खालिद के वकील ने जवाब दिया वो व्यंग्य था। शायद, प्रधानमंत्री ने अपनी स्पीच में सब चंगा सी शब्द का इस्तेमाल किया था। 

ऊंट किसे कहा जा रहा है? 

खालिद के वकील ने कोर्ट को अमरावती में दी गई पूरी स्पीच सुनाई। उसे सुनने के बाद कोर्ट ने वकील से सवाल किया कि इसमें ऊंट किसे कहा जा रहा है जिसे शाहीन बाग की औरतों द्वारा पहाड़ के नीचे लाए जाने की बात कही गई। जवाब में वकील ने कहा कि यहां सरकार की आलोचना हो रही है और इस आलोचना को किसी भी तरह से अवैध नहीं माना जा सकता। 

जामिया आजादी से पहले का है या बाद में बना?

हाई कोर्ट ने वकील से जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ अत्याचारों की बात को लेकर पूछा कि क्या ये संस्थान आजादी से पहले का है या बाद में बना। वकील ने जवाब दिया पहले का है। कोर्ट ने वकील से पूछा कि हमारे सामने सवाल यह है कि खालिद ने जगह-जगह जो भाषण दिए और उसके बाद नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में जो दंगे हुए, उनके बीच किसी तरह का लिंक है या नहीं, यह स्थापित किया जाए। 


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