जीवन भर ग़ज़ल के बादशाह बने रहे जगजीत सिंह

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 08, 2018

देश के सुप्रसिद्ध गज़ल गायकों में शुमार जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी को हुआ था। उनका निधन 10 अक्तूबर 2011 को हुआ। उनका संगीत अत्यंत मधुर है और उनकी आवाज़ संगीत के साथ खूबसूरती से घुल-मिल जाती है। जगजीत सिंह की ग़ज़लों ने न सिर्फ़ उर्दू के कम जानकारों के बीच शेरो-शायरी की समझ में इज़ाफ़ा किया बल्कि ग़ालिब, मीर, मजाज़, जोश और फ़िराक़ जैसे शायरों से भी उनका परिचय कराया। जगजीत सिंह को सन 2003 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। फरवरी 2015 में उनके सम्मान व स्मृति में दो डाक टिकट भी जारी किए गए।

जगजीत सिंह को बचपन में अपने पिता से संगीत विरासत में मिला। गंगानगर में ही पंडित छगन लाल शर्मा के सानिध्य में उन्होंने दो साल तक शास्त्रीय संगीत सीखने की शुरूआत की। आगे जाकर सैनिया घराने के उस्ताद जमाल ख़ान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखीं।

जगजीत सिंह 1965 में मुंबई आए। शुरू में वह पेइंग गेस्ट के तौर पर रहा करते थे और विज्ञापनों के लिए जिंगल्स गाकर या शादी-समारोह वगैरह में गाकर रोज़ी रोटी का जुगाड़ करते रहे।

1967 में जगजीत जी की मुलाक़ात चित्रा जी से हुई। दो साल बाद दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।

गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ब्रेन हैमरेज होने के बाद जगजीत सिंह की सर्जरी की गई, जिसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी।

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