By अंकित सिंह | Dec 22, 2025
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भगवत के उस बयान की निंदा की, जिसमें उन्होंने आरएसएस के गठन के कारण और सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा दिए गए निर्देशों पर सवाल उठाया था। जयराम रमेश ने कहा कि सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर से क्या कहा था? आप एक गुप्त संगठन हैं। एक संस्था बनिए। पारदर्शिता लाइए। गुप्त रूप से काम मत कीजिए। यह सरदार पटेल का पत्र है।
जयराम रमेश ने आरएसएस की इस बात के लिए भी आलोचना की कि उसने 50 वर्षों से अधिक समय तक अपने नागपुर मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया, ध्वज संहिता में बदलाव के बाद ही 2002 में इसे फिर से शुरू किया। इसके अलावा, रमेश ने आरएसएस की विचारधारा पर सवाल उठाते हुए 26 नवंबर, 1949 को भारत के संविधान को अपनाने के कुछ दिनों बाद रामलीला मैदान में अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के पुतले जलाए जाने की घटना का जिक्र किया। उन्होंने पूछा, "किस विचारधारा ने ऐसा माहौल बनाया, जिसके कारण महात्मा गांधी की हत्या हुई?
अपने आरोपों में आगे उन्होंने पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसद और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश का जिक्र किया, जिनसे जब पूछा गया कि गांधी या गोडसे? तो उन्होंने कहा, "मुझे सोचना पड़ेगा", फिर भी उन्हें टिकट दिया गया और जिताया गया। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग राष्ट्रवाद के प्रमाण पत्र बांटने में व्यस्त हैं। उनकी ये टिप्पणियां आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत के उस बयान के बाद आईं, जिसमें उन्होंने कहा था कि आरएसएस एक कट्टर राष्ट्रवादी संगठन है।
कोलकाता में 'आरएसएस 100 व्याख्यान माला' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भगवत ने कहा कि आरएसएस हमेशा से यह तर्क देता आया है कि भारत एक "हिंदू राष्ट्र" है, क्योंकि यहां की संस्कृति और बहुसंख्यक लोगों का हिंदू धर्म से जुड़ाव है। हालांकि, 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द मूल रूप से संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं था, लेकिन इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल के दौरान संविधान (42वां संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा 'समाजवादी' शब्द के साथ जोड़ा गया था।