By अभिनय आकाश | Oct 24, 2025
अभी कुछ दिनों पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जिस तरह से संवाद हो रहा था। एक्स पर मैसेज का एक्सचेंज हो रहा था। उससे ऐसा लग रहा था कि दोनों नेताओं के बीच जल्द ही मुलाकात होगी और टैरिफ को लेकर भारत और अमेरिका के बीच पैदा हुई कड़वाहट दूर हो जाएगी। अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है जब ट्रंप टैरिफ को लेकर एक खबर आई थी जिसमें रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर लगाए गए 50 % वाले टैरिफ के 15 % तक कर दिए जाने का अनुमान जताया गया था। कहा जाने लगे कि 26 अक्टबर से कुआलालंपुरप में आयोजित आसियान समिट में ट्रंप मोदी की मुलाकात हो सकती है। टैरिफ के मामले को लेकर भारत की टीम ने भी टैरिफ वॉर के हैप्पी इंडिंग की संभावना जताई थी।
मलेशिया के विदेश मंत्री ने भी यह कह दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी इस समिट में भाग लेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय से भी संकेत मिल रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी आसियान समिट में जाएंगे। लेकिन तमाम अटकलों, अनुमानओं और आशंकाओं के बीच अचानक से प्रधानमंत्री मोदी का एक ट्वीट आता है जिसमें वो कहते हैं कि वो अब कोलामपुर नहीं जा रहे हैं। वो आसियान समिट में भाग तो लेंगे लेकिन वर्चुअसल माध्यम से लेंगे। पीएम मोदी ने खुद इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उनकी बात मलेयशिया के पीएम अनवर इब्राहिम से हुई। उन्होंने मलयेशियाई पीएम को समिट के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। इससे पहले मलयेशियाई पीएम ने भी कहा कि पीएम मोदी वर्चुअल मोड में हिस्सा लेंगे।
विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि 20वीं ईस्ट एशिया समिट में भारत की ओर से नेतृत्व विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे। 26-28 अक्टूबर को होने वाली आसियान समिट पर सबकी निगाहें लगी हुई थीं। दो दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि वो 26 अक्टूबर को दो दिवसीय मलयेशिया का दौरा करेंगे। इस ऐलान के बाद से ही कयास लगने लगे थे कि इस दौरान पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने कोलालमपुर जाने से इंकार कर दिया। कुआलालंवपुर जाने से मना करने का मतलब यह है कि जो ट्रंप से जो मुलाकात होनी थी उसको भी प्रधानमंत्री मोदी ने रिजेक्ट कर दिया।
इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलिपीस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया आसियान के देश है। हाल के वर्षों में भारत और आसियान संबंध गहरे हुए है। इसमें व्यापार और निवेश के साथ साथ सुरक्षा के क्षेत्र में ध्यान केंद्रित किया गया है। 2005 से अस्तित्व में आया ईस्ट एशिया मैकेनिजम इस प्रांत में रणनीतिक विश्वास बनाने की दिशा में काम कर रहा है। साल 2019 में पीएम मोदी ने ही इस समिट में इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव की घोषणा की थी। इस बार एस जयशंकर समिट में जाएंगे।
आसियान देशों के साथ गहरे संबंधों की दिशा में बढ़ना भारत की ईस्ट पॉलिसी का अहम हिस्सा रहा है। पीएम मोदी हालिया वर्षों में इस सम्मेलन में शामिल होते रहे है। साल 2023 में उस वक्त भी पीएम मोदी ने इस समिट मे हिस्सा लिया था जब नई दिल्ली की अध्यक्षता में जी20 की तैयारी जोरो शोरों पर थी।
सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही हैं कि बिहार चुनाव को देखते हुए शायद यह दौरा रद्द किया गया है। कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि अधिकारियों का यह कहना है कि जो छठ पर्व जो है बिहार में चुनाव है। छठ पर्व बिहार का सबसे बड़ा पर्व है। तो उसकी वजह से भी प्रधानमंत्री नहीं जा रहे हैं क्योंकि और उनकी कोई दूसरी व्यस्तता भी है। लेकिन क्या सच में बस यही वजह हो सकती है? कुछ तो ऐसा हुआ है जिसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी को यह लगा कि ट्रंप से इस वक्त मिलना ठीक नहीं है। अगर हम लोग गौर से देखें पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को तो मोदी का मास्टरस्ट्रोक समझ जाएगा। ये बात तो किसी से छुपी नहीं है कि ट्रंप सुबह कुछ बोलते हैं, दोपहर कुछ करते हैं और शाम होते होते उससे पलट जाते हैं। ट्रंप हैं यह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और शायद उनको यह अंदाजा भी नहीं है कि जब किसी देश के प्रधानमंत्री से या राष्ट्रपति से मिलते हैं उनकी बातचीत होती है तो उसके बाद मीडिया को कैसे ब्रीफ करना है। कई बार वो सफेद झूठ बोल जाते हैं और व्हाइट हाउस की किरकिरी करा बैठते हैं। अभी आप देखिए कई बार पिछले कुछ दिनों में उन्होंने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत हुई है और उन्होंने कहा है कि वह रूस से तेल आयात बंद कर देंगे। जबकि भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसी तो कोई बातचीत हुई नहीं है। हमारी जानकारी में नहीं है।
जब भारत की ट्रेड टीम अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है। ऐसे में ट्रंप से मिलना तो और भी खतरे से खाली नहीं है। वो पता नहीं दो नेताओं के बीच में एक बंद कमरे में क्या बातचीत होगी और बाहर आकर के पता नहीं वो क्या बयान दे दे। भाई उनका क्या भरोसा है। जब वो सफेद झूठ बोल सकते हैं कि भारत ने यह कहा है कि हम तब तेल का आयात नहीं करेंगे। एक समय कहा था ना उन्होंने कि हम तेल का आयात नहीं करेंगे। तो भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भाई हमने तो ऐसी बात ही नहीं कही है और तेल का आयात हम करेंगे कि नहीं करेंगे तो बिल्कुल इस बात पे निर्भर करता है कि भारत का इंटरेस्ट कहां पे है। भारत के इंटरेस्ट में अगर हुआ अगर हमें तेल सस्ता पड़ेगा तो हम रूस से खरीदेंगे। रूस से तेल खरीदने की वो बात थी। तो रूस से अगर तेल खरीदना है कि नहीं है तो भारत डिसाइड करेगा उसी तरह से अब ये पाकिस्तान पर हमला करना है कि नहीं करना है ये तो भारत डिसाइड करेगा।